चिप और आइसी तकनीक में ट्रिपलआईटी छात्रों को सिखाई जा रही विशेष तकनीकदेश में लोकल उत्पादन होने से कम होगी दूसरे देशों से निर्भरता

प्रयागराज ब्यूरो । भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ट्रिपलआइटी में छात्रों को वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन यानी वीएसएलआई और चिप डिजाइन बनाना सिखाया जा रहा है। वर्तमान में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अत्यधिक मांग है और साथ ही इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की कमी है। वैश्विक स्तर पर इस कमी को पूरा करने के लिए ट्रिपलआइटी संस्थान ने पहल की है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए प्रतिभागियों को चिप डिजाइन की अवधारणा को जानने और इस उभरते और अत्यधिक मांग वाले क्षेत्र में कुशल जनशक्ति की समग्र मांग में योगदान करने में सहायता प्रदान करेगा। इसके तहत प्रतिभागियों को आइसी डिजाइङ्क्षनग के बारे में ज्ञान बढ़ाने में मदद और परियोजनाओं के माध्यम से चिप डिजाइन की कला और सूक्ष्म विवरण सिखाया जा रहा है।

दूसरे प्रदेशों से आ रहे छात्र
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में चल रहे इस कार्यशाला में इस हुनर को सीखने के लिए पश्चिम बंगाल, नार्थ इस्ट एवं देश भर से बड़ी संख्या में छात्र हिस्सा ले रहे हैं। अभी तक 95 छात्र अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।

जानें क्या होता है वीएसएलआई
वीएसएलआइ का पूरा नाम वेरी लार्ज स्कूल इंटीग्रेशन है। इसका उपयोग लाखों ट्रांजिस्टर जैसे मेमोरी चिप्स और माइक्रोप्रासेसर के साथ बिजली
उपकरणों को डवलप करने में किया जाता है। अधिकांश उपकरण इसी चिप के जरिए प्रोसेसिंग भी करते हैं।

ये हैं इलेजबल
जिन छात्रो ने इलेक्टिकल में डिप्लोमा, डिग्री या फिर कोई अन्य
सर्टिफिकेट कोर्स किया हो। ये सभी छात्र इस प्रशिक्षण में हिस्सा ले सकते हैं।

सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में आगे बढ़े भारत
प्रोफेसर मनीष गोस्वामी का कहना है कि सेमी कन्डक्टर के क्षेत्र में
भारत को आगे बढाने के लिए कई सारे प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।

इनमें मेक इन इंडिया, मिशन इंडिया प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। सेमी कन्डक्टर बनाने की फील्ड में देश को तेज गति से आगे बढाने के लिए भारत सरकार द्वारा आईएसएम इंडियन सेमीकन्डक्टर मैन्युफैक्चर प्रोग्राम चलाया गया।
इस मिशन की शुरूआत साल 2022 में की गई। इस प्रोग्राम की कुल लागत 75 हजार करोड है। इस प्रोग्राम के तहत इंडिया अब डिस्प्ले पर काम करेगा।

जैसे पहले हमे सेमी कन्डक्टर के लिए दूसरे देशों जैसे चाइना,ताइवान इसके अलावा अन्य देशों से मंगाना था। लेकिन अब धीरे धीरे इन देशों से चिप्स को मंगाने के अनुपात मे कमी आएगी।


स्पेशल मैन पावर डवलपमेंट प्रोग्राम
चिप्स टू सिस्टम डिजाइन के विशेष जनशक्ति विकास कार्यक्रम दिसंबर 2014 मे डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत,आईआईटी, एमएनआईटी,आईआईआईटी सहित देश के सभी 60 शैक्षणिक और अनुसंधानो मे इस योजना को चलाया गया.इस योजना के तहत एसे लोगो को तैयार करना है.जो की केवल और चिप्स को डिजाइन करे।

चिप का कितना है बाजार
चिप का बाजार काफी बडा है। क्योंकि इसका इस्तेमाल घड़ी से लेकर टीवी और रिमोट से लेकर कार तक में हो रहा है। दिन प्रतिदिन इसका वैश्विक मार्केट बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 मे चिप्स का कुल मार्केट 527.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.वहीं साल 2022 मे इसका मार्केट 573.44 अमेरिकी डॉलर था। साल 2029 तक इसका मार्केट लगभग 1380.79 तक पहुंचने की उम्मीद है।


पहले इंडिया मे एक भी चिप का निर्माण नहीें होता था.लेकिन अब इंडिया मे धीरे धीरे चिप्स का निर्माण होने लगा है.जो भारत पहले चिप्स के लिए पूर्ण रूप से विदेशी देशों पर निर्भर रहता था। लेकिन अब भारत खुद एससीएल जैसी संस्थानों मे चिप्स का उत्पादन कर रहा है।
जिससे आने वाले पांच से सात वर्षों में चिप्स के क्षेत्र मे भारत आत्मनिर्भर हो चिप्स को निर्यात करने वाले देशों मे शामिल होगा।
- प्रो मनीष गोस्वामी
प्रोफेसर आईआईआईटी

Posted By: Inextlive