कहने को हॉस्टल है, दीवारें ही बजा रहीं खतरे की घंटी
प्रयागराज (ब्यूरो)। पॉलिटेक्निक कोर्सेज की पढ़ाई में यूपी में बड़ा नाम रहे आईईआरटी की स्थिति दिनो दिन दयनीय होती जा रही है। इसके दिन बहुरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। न इंफ्रास्ट्रक्चर के लेवल पर कोई बड़ा चेंज दिखता है और न ही छात्रों की क्लासेज को लेकर। छात्रों में इतना डर है कि वे सब कुछ बताते हैं लेकिन नाम पूछते ही खामोश हो जाते हैं। यहां की स्थिति जानने के लिए गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट अयोध्या हॉस्टल पहुंचा था। यहां छात्रों की तरफ से जो जानकारी मिली वह चौंकाने वाली थी।
हॉस्टल में रहते हैं 140 छात्र
अयोध्या हॉस्टल में कुल 70 कमरे है। इन 70 कमरों मे कुल 140 छात्रों को रहने के लिए आवंटित किया गया है। हॉस्टल में इंट्री लेते जर्जर छत और दीवारों से सामना होता है। इन्हें देखकर लगता है कि कभी भी ढह जाएगी। छात्रो से पूछने पर उन्होंने बताया कि इसकी कई बार शिकायत की जा चुकी है। हर बार भरोसा दिया जाता है कि जल्द ही ठीक करा दिया जायेगा लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। बारिश के दिनों में छत पर पानी जमा हो जाता है और रिसकर कमरों में टपकता रहता है। तेज बारिश होने की स्थिति में यहां छात्रों के लिए सो पाना भी मुश्किल हो जाता है।
टॉयलेट कोई देखता ही नहीं
कमरे की स्थिति देखने के बाद रिपोर्टर बाथरूम की तरफ बढ़ा तो उधर से आती स्मेल के चलते आगे बढऩे की हिम्मत नहीं जुटा सका। इमैजिक कर सकता था कि इस टॉयलेट को यूज करना छात्रों के लिए कितना अनहाइजिनिक होगा। इसके बाद भी छात्र इसी को यूज करने के लिए मजबूर हैं। पूछने पर पता चला कि बाथरूम की रेग्युलर सफाई ही नहीं करायी जाती।
तार अलग बने हैं खतरा
कैंपस में तारों का जाल मिला। जुगाड़ के सहारे तारों को रोका गया था। कई जगह इसे जोड़ा भी गया है, यह भी साफ दिख रहा था। टूटे और खुले तारों में प्रवाहित हो रहा करंट कब खतरा बन जाये? कुछ कहा नहीं जा सकता है। यहां लगी एमसीबी की दशा देखकर तो कोई भी चौंक जाएगा। छात्रों ने बताया कि यहां अक्सर पानी की टोटियों में करंट उतर आता है। बारिश के दिनों में दीवारें भी करंट के झटके का एहसास कराती हैं। इस समस्या को लेकर के छात्रों ने कई बार वार्डेन से शिकायत भी किया। इस संबंध में मोबाइल पर हुई बातचीत में वार्डेन ने कहा कि पूरे कैंपस की वायरिंग में प्राब्लम है। इसे बदलवाने के लिए लिखा गया है। अभी बजट का अप्रूवल नहीं है, इससे काम शुरू नहीं हो पा रहा है। छात्रों को इससे होने वाले खतरे के बारे में बताया गया है ताकि वे खुद अॅवेयर रहें और खतरे से अपना बचाव करें।
नंबर पर संकट का डर
इतना सब कुछ झेलने के बाद भी हॉस्टल में रहने वाला कोई छात्र फोटो खिंचवाकर नाम बताने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसका कारण पूछने पर पता चला कि कोर्स में इंटरनल असेस्मेंट 50 नंबर का होता है। इससे स्कोर तय होता है। इसका पूरा मैनेजमेंट आईईआरटी के ही टीचर्स के हाथ में होता है। छात्र सामने आने से इसलिए हिचकते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि टीचर की निगाह में चढ़ गये तो इंटरनल असेस्मेंट में ही उनकी लंका न लगा दी जाय। इंटरनल में कम नंबर आने पर सेमेस्टर में फेल होने का खतरा बन जाता है। इसके अलावा डिग्रियां रोक लिये जाने जैसा खेल भी खेला जाता है।
बिल्डिंग की मेंटेनेंस की इजाजत हाइअर एथॉरिटी से मिल चुकी है। इस पर काम पिछले दो महीनों से चल रहा है। यह काम 15 से 20 दिन में पूरा हो जाने की संभावना है। जहां तक वायरिंग का मसला है तो यह मेरे संज्ञान में है। इसके लिए भी लिखा-पढ़ी चल रही है। अनुमति मिलने पर इसका काम भी शुरू हो जाएगा।
इंदू भूषण दुबे,वार्डेन, अयोध्या हॉस्टल, आईईआरटी