नीट एग्जाम मामले मेंं 23 जून को ग्रेस माक्र्स वालों के एग्जाम कराने पर भी सवाल उठे हैं. पूरे अंक पाने वालों को भी एम्स में नहीं मिलेगा दाखिला...

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जैसे जैसे 23 जून की तारीख करीब आ रही है, लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि केवल 1563 को ग्रेस मार्क देने की बात कहकर एग्जाम कराने की बात अपनी गलतियों को छिपाने के बराबर है। जबकि यह संख्या कही अधिक है। जिन छह सेंटर में स्टूडेंंट को ग्रेस मार्क देने की बात कही जा रही है। उनमें प्रति सेंटर 500 स्टूडेंट के औसत ने तीन हजार स्टूडेंट मौजूद थे। इस तरह से महज 1563 की बात कहां से आ गई। कायदे से नीट एग्जाम को ही दोबारा कंडक्ट कराया जाना चाहिए।

टॉपर को नहीं मिलेगा एम्स
हर स्टूडेंट का सपना होता है कि नीट टॉप करने के बाद उसे एम्स में सीट एलॉट हो जाए। इसके लिए उसे टॉप स्कोर की जरूरत होती है। लेकिन इस बार 720 में से 720 लाने वालों की संख्या 67 रही है। ऐसे में पूरे अंक लाने वालों को भी एम्स में सीट मिल जाए, यह संभव नही है। यह अपने आप में काफी हास्यास्पद है। वर्ष 2023 में 715 अंक लाने वाले की चौथी रैंक आई थी। इस बार यह नंबर लाने वाला 225वें रैंक पर पहुुच गया है। महज एक साल के भीतर इतना अधिक अंतर आने पर चारों ओर हड़कंप मचा हुआ है।

रास नहीं आया एनटीए का यू टर्न
अभ्यर्थियों का आब्जेक्शन था कि उन्हे एग्जाम पूरा करने में समय कम पड़ गया। यह सुनने के बाद एनटीए की ग्राीवांस सेल ने 1563 स्टूडेंंट को ग्रेस मार्क दे दिए। इसके बाद तो जैसे कमाल ही हो गया। एक ही सेंटर के छह ऐसे स्टूडेंट 720 में से 720 पाकर टॉपर बन गए। हालांकि बाद में केंद्र सरकार और एनटीए दोनों ने मान लिया कि ग्रेस मार्क देने में सही फार्मूले का इस्तेंमाल नही किया गया है। इसके बाद 23 जून केा फिर से ग्रेस मार्क पाने वालों के एग्जाम की घोषणा एनटीए ने की है। जिसका चारों ओर फिर से विरोध किया जा रहा है।

अब तो पेपर लीक की पुष्टि भी हो गई
उधर बिहार के आरोपी ने भी मान लिया कि पेपर लीक हुआ था। अरेस्ट आरोपी आयुष ने बताया कि चार मई को उसे पूरा पेपर और आंसर की देकर रटने को कहा गया। इसके बाद बाकी दो दर्जन स्टूडेंट को भी यह सवाल रटाए गए। एग्जाम में आए सवाल भी वही थे। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने वाले भी लगातार खुलासे होने के बाद नीट यूजी की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं।

डिप्रेशन में जा रहे हैं स्टूडेंट
नीट में शामिल होने वाले स्टॅडूेंट्स का कहना है कि पेपर अगर कठिन आ जाए तो दिक्कत नही होती है, जब हाई स्कोर हो जाए तो परेशानी होती है। तब अच्छे नंबर लाने के बाद भी रैंक खराब हो जाती है। जो इस बार नीट यूजी में हो रहा है। अगर किसी स्टूडेंट की 700 नंबर आने पर भी उसे अच्छे कॉलेज में सीट नही मिल पा रही है तो यह चिंता का विषय है। एनटीए को इस दिशा में सोचना चाहिए था। ऐसा करने से अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में फंस गया है।

केवल 1563 स्टूडेंट को ग्रेस मार्क नहीं दिए गए हैं। यह संख्या असलियत में कही ज्यादा है। अपनी गलतियों को छिपाने के लिए एनटीए ऐसा कर रहा है। मेरा मानना है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोबारा एग्जाम कराया जाए।
सुजीत कुशवाहा, अभ्यर्थी

इस बार का नंबर गेम किसी के समझ नहीं आया है। टापर इतने अधिक हैं कि इनमें से भी कईयों का एम्स में सीट नही मिलेगी। यह चिंता की बात है। इस तरह से नीट का एग्जाम होगा तो भविष्य में क्वालिफाई करना बेहद मुश्किल होगा।
रामानंद
नीट का दोबारा एग्जाम कराना जरूरी है। जो बच्चे क्वालिफाई हैं वह फिर से हो जाएंगे। क्योंकि उन्होंने मेहनत की है। लेकिन जो ग्रेस मार्क पाकर टॉपर बन गए हैं उन्हें बाहर करना जरूरी है। इससे पढऩे वाले बच्चों का मनोबल गिर जाएगा।
ब्रजेश पांडेय, कोचिंग संचालक

Posted By: Inextlive