जार्जटाउन थाने के पूर्व प्रभारी निरीक्षक समेत तीन और सस्पेंड
प्रयागराज (ब्यूरो)। दुष्कर्म पीडि़ता को इंसाफ दिलाने के वजह आरोपी सीएमपी डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव को बचाने में जुटी खाकी का कारनामा धीरे-धीरे सामने आ रहा है। अधिकारियों ने इससे पहले गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजने में इंस्पेक्टर हंडिया बृजेश यादव, सर्विलांस प्रभारी संजय यादव, हेड कांस्टेबल पन्ना लाल यादव, कृष्ण कुमार यादव, अजय कुमार यादव को सस्पेंड किया गया था। उसके बाद पूर्व थाना प्रभारी निरीक्षक शिशपाुल शर्मा व मुकदमे की विवेचना करने वाले दारोगा बलवंत यादव और महेंद्र चंद्र को भी सस्पेंड कर दिया गया। एडीजी द्वारा बिठाई की जांच में अब भी कई दागदार खाकी सामने आने बाकी है.चर्चा यह भी रहा है कि आरोपी मदन यादव को सस्पेंड हुये इंस्पेक्टर ने एक अधिकारी से मिलकर अपनी बात रखने की सलाह दी। जिसके बाद आरोपी उनसे मिलकर अपने आपको बेकसूर बताया था।
कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हंडिया थाने में दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे मे गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजने के बाद कालेज मे एक घटना हुई थी। यहां पीडि़त छात्रा अपनी बात रखने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर मदन से मिलने के लिए सीएमपी डिग्री कालेज गई थी, जहां उनके बीच विवाद हुआ था। तब मदन यादव ने छात्रा के विरुद्ध बवाल, धमकी, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने जैसे कई आरोप में मुकदमा लिखवाया था। उस मुकदमे की विवेचना पहले दारोगा महेंश चंद्र ने की, लेकिन सभी तथ्यों को सामहित नहीं किया। इसके बाद विवेचना बलवंत यादव को मिली तो उसने लापरवाही बरतते हुए मुकदमे में छात्रा के विरुद्ध चार्जशीट फाइल कर दी थी। इसी बीच छात्रा अपनी तहरीर लेकर थाने का चक्कर काटती रही, मगर उसकी तरफ से एफआइआर नहीं दर्ज हुई। हालांकि बाद में छात्रा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से आदेश होने पर मदन यादव के विरुद्ध मुकदमा लिखा गया था। मुकदमे का ठीक से पर्यवेक्षण न करने और पीडि़ता की तहरीर पर केस न दर्ज करने पर इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। इस प्रकरण की जांच करते हुए एसपी सिटी ने कुछ दिन पहले उच्चाधिकारियों को अपनी रिपोर्ट भेजी थी, जिसके आधार पर तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है।
सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी, डीआईजी/एसएसपी