सस्पेंड सिपाही समेत तीन गिरफ्तार
प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस लाइंस सभागार में खुलासा करते हुए एसपी क्राइम ने घटना के पीछे पुरानी रंजिश को कारण बताए। उनके मुताबिक आरोपित आबकारी विभाग का निलंबित सिपाही विमलेश घटना स्थल के बगल एक किराए के मकान में रहता था। विमलेश मूल रूप से करछना के नीवी पोस्ट खाई का रहने वाला है। मकान मालिक यहां रहते नहीं, लिहाजा वह मकान का 1500 रुपये किराया केयरटेकर गिरफ्तार किए गए कृष्ण मुरारी उर्फ लाली शर्मा को दिया करता था। लाली कीडगंज के ही पुरवल्ली मोहल्ले का रहने वाला है। विमलेश के साथ उसका एक दोस्त भी पकड़ा गया है। जिसका नाम सतीश पांडेय पुत्र मोहन लाल पांडेय निवासी दर्शनीय थाना कोरांव बताया गया। इन तीनों विमलेश व सतीश और लाली को परेड ग्राउंड में बनी पुलिया के पास गिरफ्तार करने की बात कही गई। घटना के पीछे दो कारण बताए गए। पहला यह कि दबंग किस्म का विमलेश मृतक व उसके भाइयों के परिवार को देखकर कमेंट करता था। इस बात को लेकर आए दिन नोकझोक हुआ करती थी। दूसरा यह कि जिस मकान में विमलेश किराए पर था उस पर उसकी नजर टिक गई थी। गोलीबारी की जिस घटना को आरोपितों ने अंजाम दिया वह पुराने छोटे-छोटे विवाद को लेकर ही बताए गए। एक सवाल के जवाब में एसपी क्राइम ने कहा कि मृतक के परिवार का विवादित मकान पर को लेकर कोई इंट्रेस्ट जैसी बात सामने नहीं आई है। यदि ऐसा कुछ रहा तो विवेचना में सब साफ हो जाएगा। गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के पास से पुलिस एक लाइसेंसी रिवाल्वर व छह खोखा कारतूस भी बरामद हुआ है।
घूमता रहा एक शहर से दूसरे शहर
बताया गया कि कीडगंज में वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपित विमलेश मौके सबसे पहले भागकर वाराणसी पहुंचा। वहां दर्शन किया इसके बाद अपने कई संरक्षणदाताओं से मिला। इसके बाद भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा और फिर आगरा गया। आगरा में एक रात बिताने के बाद फिर लखनऊ आ गया। यहां वह अपने कुछ पहचान के अफसरों से मिला और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर जा पहुंचा। गोरखपुर से वह प्रयागराज आया और परेड में सतीश व लाली शर्मा से पुलिया पर कुछ बातें कर रहा था। इसी बीच कीडगंज इंस्पेक्टर व एसओजी टीम ने तीनों को दबोच लिया।
गिरफ्तारी, खुलासा या हाजिर करवाया?
आरोपितों को गिरफ्तार करने वाली कीडगंज थाना पुलिस व एसओजी टीम आरोपितों को मीडिया के सामने लाने से कतराती रही।
मीडिया कर्मियों के काफी कहने पर करीब एक घंटे बाद पुलिस उन्हें लेकर पहुंची तो साथ में अधिवक्ता भी थे।
यह पहला ऐसा वाक्या था जबकि किसी बड़ी घटना के खुलासे के लिए आरोपितों को लाते समय उनके व पुलिस के साथ अधिवक्ता भी पहुंचे।
आरोपित मीडिया कर्मियों के काफी कुरेदने पर भी मुंह खोलना मुनासिब नहीं समझे।
खुद आरोपित विमलेश भी अपना पक्ष रखने के बजाय खामोश रहा। ऐसे में प्रश्न यह था कि क्या उन्हें न बोलने की हिदायत दी गई थी।
माना जा रहा है कि थाना पुलिस व टीमें एक सधी हुई फील्डिंग के साथ तीनों को बुलवाई और शाबासी लूटने के लिए खुलासे का रूप देते हुए कोर्ट में पेश कर दी।
शायद यही सारे कारण थे जिनकी वजह से पुलिस आरोपितों को मीडिया के सामने लाने से कतरा रही थी।
सतीश चंद्र, एसपी क्राइम