ट्रेनों में कन्फर्म सीट वालों को भी करना पड़ा संघर्ष
प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रयागराज जंक्शन से बनकर चलने वाली ट्रेन प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन में बैठे आशीष बताते हैं कि वह दिल्ली स्थित एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। बताया कि पर्व मनाने के लिए एक सप्ताह की छुट्टी लेकर आए थे जो आज खत्म हो रही है। इसलिए वापस काम पर लौट रहा हूं। कल से डयूटी चालू हो जाएगी। टिकट पहले से बुक कराया गया था। अपनी सीट पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा है।
बड़ी मुश्किल से मिला है टिकट
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में बब्लू बताते है कि वह एक होटल में काम करते हैं। हर महीने की सैलरी नहीं बल्कि हर दिन काम का भुगतान मिलता है। दीपावली व छठ पर्व दोनों मना लिया गया। जितना दिन घर पर बैठेंगे। उतना ही नुकसान है। छठ पर्व बाद कंफर्म टिकट ही नहीं मिल रहा था। बड़ी मुश्किल से सोमवार का टिकट मिला है। कई साथी है उनको तो टिकट ही कंफर्म नहीं मिला है। कुछ लोग बस से मजबूरी में सफर कर रहे हैं। प्राइवेट काम करने वालों के साथ बड़ी समस्या है कि वह अगर समय पर नहीं गए तो कोई दूसरा स्टाफ मालिक रख लेगा।
साथ ही जा रहा है परिवार
मेरी सीट ऊपर की है। आप लोग मेरी सीट पर बैठ गए है। एक बार आप लोग अपनी टिकट चेक कर लीजिए। यह कहना था कि ट्रेन में सफर करने वाले राकेश का। वह ट्रेन में जैसे ही अपने परिवार के साथ घुसे। उनकी सीट पर कोई बैठा हुआ था। वह टिकट दिखाते हुये अपनी सीट होना का दावा कर रहे थे। सीट पर बैठ जाने के बाद दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने बातचीत की। उन्होंने बताया कि वह किराये पर दिल्ली में रहते है। माता-पिता प्रयागराज में ही रहते हैं। हर साल बहनों के साथ ही दीपावली व छठ पर्व मनाते हुये आए है। पिछले दो साल से कोरोना के चलते ब्रेक लगा हुआ था। इस बार एक साथ त्योहार मनाने का मौका मिला। इसलिए पत्नी व बच्चों के साथ सफर कर रहे है। घर के लोग बहुत रोक रहे थे। कल निकल जाना। लेकिन अगले दिन की छोडि़ए, छह तारीख तक कोई कंफर्म टिकट ही नहीं थी।
बसों में भी जगह नहीं
ट्रेनों में भीड़ दिखाई देखने के साथ बसों में भी सीट का आलम कुछ ठीक नहीं था। सिविल लाइंस डिपो से कानपुर व दिल्ली रूट पर चलने वाली ज्यादातर बसों के सीट फुल मिले। बातचीत में सफर करने वालों लोगों ने बताया कि ट्रेन में कंफर्म टिकट न मिलने पर मजबूरी में रोडवेज की बस से सफर कर रहे है। वहीं प्राइवेट स्लीपर में सीट पाने के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ गया। शाम को हनुमान मंदिर समीप, बैहराना के पास से चलने वाली स्लीपर बसों की सीट फुल दिखाई पड़ी। कुछ लोगों को सौ-दो सौ रुपये एक्स्ट्रा देने पर भी सीट नहीं मिली।