Allahabad : तीमारदारों और जूनियर डॉक्टर्स के बीच हुए बवाल के चलते एसआरएन हॉस्पिटल में एक बार फिर मरीजों को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ी. इमरजेंसी ओपीडी वार्ड सहित सभी सर्विसेज ठप हो जाने से मरीज तिलमिला उठे. मारपीट के घटना ये झल्लाए डॉक्टर्स घंटो स्ट्राइक पर रहे. काफी मान-मनौव्वल के बाद शाम को वह वापस काम पर लौटे तो सभी ने राहत की सांस ली. हालांकि इस बीच हॉस्पिटल कैंपस में जबरदस्त तनाव रहा. हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस फोर्स का सहारा लेना पड़ा.

 

 

बच्चे की मौत पर गुस्साए परिजन

वेडनसडे मॉर्निंग एक मरीज की मौत पर जूनियर डॉक्टर्स और परिजनों के बीच जमकर मारपीट हुई। दारागंज के रहने वाले विकास केलकर ने अपने दस वर्षीय बेटे आर्यन को स्नेक बाइट के चलते आईसीयू मेडिसिन वार्ड में एडमिट कराया था। जहां इलाज के दौरान तकरीबन नौ बजे उसकी डेथ हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया तो दोनों ओर से तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। थोड़ी देर में दोनों ओर से लात-घूंसे चलने लगे तो वार्ड में भगदड़ मच गई। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों द्वारा मारपीट किए जाने से ड्यूटी पर तैनात राजीव व ऋषि सहित पांच जूनियर डॉक्टरों को चोटें आई हैं. 

एक घंटे बवाल, फिर स्ट्राइक

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह तकरीबन नौ से दस बजे के बीच एक घंटे दोनों पक्षों के बीच बवाल हुआ। भारी संख्या में मरीज के परिजनों के मौके पर पहुंच जाने से माहौल गंभीर हो गया। मारपीट के बाद परिजनों ने पहले हॉस्पिटल के सामने जमकर नारेबाजी की तो इसके बाद जूनियर डॉक्टर्स ने इमरजेंसी बिल्डिंग का मेन गेट बंद करके स्ट्राइक की घोषणा कर दी। उन्होंने भी पुलिस और हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करके सुरक्षा की मांग की. 

दहशत में आ गए मरीज

बवाल के चलते मरीजों को जमकर फजीहत झेलनी पड़ी। नाराज जूनियर डॉक्टर्स ने इमरजेंसी सहित गायनी, आर्थो व सर्जिकल ओपीडी बंद करा दिया। इसके बाद उन्होंने कैंपस स्थित मेडिकल स्टोर्स और आसपास की मार्केट भी जबरन बंद करा दी। इलाज ठप हो जाने से मरीजों में दहशत फैल गई। इसके चलते कई मरीजों को उनके परिजनों ने शहर के दूसरे हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया। इतना ही नहीं ओपीडी ठप हो जाने से दूर-दराज से आए मरीजों को निराश लौटना पड़ा। इलाज नहीं मिलने से रानीगंज के बाबूराम और मऊ से आई राबड़ी देवी के आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने बताया कि बड़ी मुश्किल से वह यहां तक आए थे। सर्जिकल वार्ड के कई मरीजों के ऑपरेशन भी टल जाने से परिजन परेशान हो उठे. 

ICU medicine में नजर नहीं आए doctor

हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार दोपहर साढ़े तीन बजे जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी स्ट्राइक वापस ले ली है। जब हमने इसकी जानकारी ली तो आईसीयू मेडिसिन के अलावा बाकी वार्ड में जूनियर डॉक्टर काम करते मिले। वहीं कुछ डॉक्टर्स का कहना था कि पुराने भर्ती मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है और इमरजेंसी छोड़कर किसी भी ओपीडी में नए मरीजों का एडमिशन नहीं हो रहा है। इस तरह से हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन और डॉक्टरों के बयान में काफी डिफरेंस नजर आया।

आखिर क्यों नहीं होती काउंसिलिंग

यह पहली बार नहीं है जब परिजनों और जूनियर डॉक्टर्स के बीच मारपीट की घटना हुई है। ऐसी घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं। कई बार परिजन भी डॉक्टरों पर गाली-गलौज व मारपीट का आरोप लगाते हैं। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने भी कुछ महीने पहले जूनियर डॉक्टर्स की काउंसिलिंग के लिए बिहेवियरिकल ट्रेनिंग की बात कही थी लेकिन इसे अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है। इस ट्रेनिंग के जरिए उन्हें मरीजों और परिजनों को डील करने और स्वभाव को शांत रखने की सीख दी जानी थी. 

यहां नहीं बचे बेड

डॉक्टरों की स्ट्राइक के जल्द खत्म होने के आसार नजर न आने से परेशान भर्ती मरीजों का पलायन कॉल ऑफ की घोषणा होने से पहले तक जारी था। भारी संख्या में मरीज कॉल्विन और बेली हॉस्पिटल पहुंचे। अकेले बेली हॉस्पिटल में दोपहर ढाई बजे महज दो बेड ही खाली थे। इतना ही नहीं ओपीडी में केवल नए मरीजों की संख्या इस दौरान 2100 का आंकड़ा पार कर चुकी थी। जूनियर डॉक्टर्स की सुरक्षा संबंधी मांगों को पूरा कर दिया गया है। सर्जिकल, आईसीयू मेडिसिन व इमरजेंसी में अब पुलिसवाले तैनात रहेंगे। जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी स्ट्राइक वापस ले ली है।

-प्रो। एसपी सिंह, 

प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive