लीवर कैंसर का मेन कारण बना है हेपेटाइटिस बी और सीरोजमर्रा की जिंदगी में लापरवाही की वजह से आते हैं बीमारी की चपेट मेहेपेटाइटिस यानी लीवर की सूजन. यह बीमारी लीवर कैंसर का कारण बनती जा रही है. लोग रोजमर्रा की जिंदगी में लापरवाही बरत कर इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. हेपेटाइटिस के पांच प्रकार है. ए बी सी डी और ई. इसमें सबसे ज्यादा संक्रामक और घातक हेपेटाइटिस बी और सी है. इनसे लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी बीमारियों का जन्म होता है. बीमारी की गंभीरता को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इस साल की थीम हेपेटाइटिस केयर को करीब लाना निर्धारित की है.


प्रयागराज (ब्यूरो)।- गर्भवती माताओं से पैदा होने वाले बच्चे को।- असुरक्षित यौन संबंध बनाने से।- टैटू गुदवाने से।- इंजेक्शन की वजह से भी संक्रमण फैलता है।- संक्रमित ब्लड चढ़वाए जाने से।12 सप्ताह बाद दिखता है लक्षणएक्यूट हेपेटाइटिस आमतौर पर शुरुआती संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह बाद होता है। इसके लक्षण तब परिलक्षित होने लगते हैं। प्रारंभ में पीलिया के लक्षण नजर आते हैं। इसमें मरीज को उल्टी, मिचली, पेट में दर्द और जोड़ों व मांसपेशियों मे ंभी पेन होता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस में मरीज को उल्टी, भूख न लगना, ज्यादा थकावट, पेट के ऊपर आई तरफ तेज दर्द और जोड़ों में दर्द होता है। कई मरीज ऐसे होत हैं जिनको यह लक्षण नही आते हैं। बचाव के उपाय- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।- टेटू के लिए स्टरलाइज नीडल का इस्तेमाल करें।- सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।


- टूथब्रश और रेजर किसी से साझा न करें।- टायलेट से आने के बाद सफाई पर ध्यान दें।- दूषित पानी से बचें।- दवाईयों का ओवर डोज न लें।- शराब, तंबाकू और धूम्रपान की लत से बचें।- किसी भी बीमारी का ट्रीटमेंट लेने में लीवर का ध्यान रखें।- योग, व्यायाम और टहलने की आदत डालें।

बच्चों में बढ़ रही है बीमारीहेपेटाइटिस संक्रमण होने का सबसे ज्यादा चांसेज बच्चों में होता है। बेली अस्प्ताल की ओपीडी में ऐसे कई मरीज आ रहे हैं। डॉ। मंसूर आलम कहते हैं कि प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर मरीजों की जांच कराई जाती है। उनका कहना है कि संक्रमण के चलते मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जो मरीज समय रहते जाते हैं उनकी जांच कर उन्हे खतरे से बचा लिया जाता है।हेपेटाइटिस के लक्षण दिखते ही मरीजों को इलाज कराना चाहिए। इनको नजर अंदाज नही करना चाहिए। समय रहते इलाज न कराया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है। संभावित मरीजों को बेली अस्पताल की ओपीडी में इलाज के लिए भेजा जाता है।डॉ। राहुल सिंह, डीसीएमओ व नोडल हेपेटाइटिस स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज

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