आपराधिक मामलों की पैरवी के लिए सिविल के वकीलों को सौंप दी गयी जिम्मेदारी


प्रयागराज ब्यूरो । इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य विधि अधिकारियों (सरकारी वकीलों)की नियुक्ति के लिए जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई उन्होंने खूब मनमानी की। हालात ये हैं कि जिन्होंने कभी आपराधिक केस ही नहीं किए ऐसे लोगों को समायोजित करने के लिए थोक में अपर शासकीय अधिवक्ता बना दिया। जिन्होंने आपराधिक मामले की वकालत की, उन्हें सिविल मामलों का सरकारी वकील बना दिया गया है। सरकार का प्रभावी विधिक पक्ष किस तरह रखा जायेगा यह सवालों के घेरे में है। ऐसी बेमेल नियुक्ति सरकार की कहीं जड़ें न हिलाकर रख दें। यह वैसे ही है जैसे हार्ट के डाक्टर को नेत्र का आपरेशन करने की जिम्मेदारी दे दी जाय। मरीज की हालत क्या होगी, स्वयं ही स्पष्ट है। मई में जारी हुई है सूची
हाल ही में जारी राज्य विधि अधिकारियों की सूची में 13अपर महाधिवक्ता 16 मुख्य स्थायी अधिवक्ता, 2 शासकीय अधिवक्ता, 194 अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता, 123 अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम, 517 स्थाई अधिवक्ता, 441अपर शासकीय अधिवक्ता, 385 वादधारक सिविल, 370 वादधारक आपराधिक, कुल लगभग 2059 सरकारी अधिवक्ता शामिल हैं। इन पर प्रदेश सरकार, प्रतिदिन 65 लाख रूपये खर्च कर रही है। यह खर्च कार्यालय में तैनात कर्मचारियों अधिकारियों के अतिरिक्त है। इतनी भारी-भरकम राशि खर्च करने बाद भी सरकार का प्रभावी पक्ष अदालतों में रखा जा सकेगा या नहीं? एक प्रश्नचिन्ह है। बताते हैं कि ऐसे वकील भी राज्य विधि अधिकारी बना दिए गए हैं जिन्होंने पहली बार हाईकोर्ट देखा है। 25 मई 23 को जारी सूची में आपराधिक केस करने वाले वकीलों को भारी संख्या में शामिल कर लिया गया है और इस सूची से पूर्व में तैनात अधिकांश सिविल साइड के वकीलों को हटाकर 6 जून 23 की आपराधिक मामलों की सूची में समायोजित कर लिया गया है। उनमें से अधिकांश इस बदलाव से असंतुष्ट हैं। कैसे सरकार का पक्ष रखेंगे, आपराधिक मामलों के अनुभव की कमी के कारण अदालत में खड़े होकर सरकार की फजीहत होने की आशंका से भयभीत हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के योग्य वकीलों की नियुक्ति के लगातार दबाव के बावजूद जिम्मेदारी निभाने वाली स्थानीय टीम योग्यता को दरकिनार कर केवल कुछ कार्यकर्ताओं सहित अपने परिवार के लोगों, रिश्तेदारों व चहेतों को शामिल कराने में सफल रही। परिवारवाद का सैद्धांतिक विरोध करने वाली भाजपा की सरकार के वकीलों की नियुक्ति में खुल कर भाई-भतीजावाद किया गया। यहां तक कि पति पत्नी, पुत्र, भाई, भतीजे, भांजे साली, साले, भयाहू आदि तमाम रिश्तेदारों को समायोजित कर लिया गया।

Posted By: Inextlive