अभी तो यह शुरुआत, बाकी है अधिकार मिलना
प्रयागराज (ब्यूरो)। किन्नरों की माने तो सरकार को जल्द से जल्द जनगणना करानी चाहिए। जिससे पता चले कि उनकी समाज में स्थिति क्या है। किन्नरों की आबादी पता चलने के बाद वह अपनी बात सरकार के सामने भली प्रकार से रख सकेंगे। वर्तमान में शहर में 500 से अधिक किन्नर विभिन्न स्थानों में निवास कर रहे हैं। इन एरिया में मालवीय नगर, सदियाबाद, प्रयाग स्टेशन, सलोरी, रसूलाबाद, फाफामऊ, राजरूपपुर शुमार हैं। हालांकि भी रहने वाले किन्नरों की पूरी संख्या की जानकारी प्रशासन या शासन को नही है। यही हाल पूरे प्रदेश का भी है।
धीरे धीरे मिल रहे हैं अधिकार
शासन की नई पहल के अनुसार किन्नरों को पहचान पत्र बांटे जा रहे हैं। प्रयागराज के तीन किन्नरों को भी यह सुविधा दी गई है। उनके लिए अस्पतालों में पांच बेड रिजर्व किए गए हैं और अलग से टायलेट बनाने तैयारी हो रही है। बावजूद इसके किन्नरों का कहना है कि हमें लांग टर्म बेनिफिट की दरकार है। स्वावलंबी होने के लिए हमें रोजगार में बराबर अवसर चाहिए। उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य स्वामी कौशल्यानंद गिरि कहती हैं कि हाल ही में गोरखपुर में तीन किन्नरों को रोडवेज में टिकट काटने की नौकरी मिली है। इसके अलावा आगरा में कम्प्यूटर आपरेटर के तौर पर किन्नरों को नियुक्त किया गया है। यह एक पहल है और इसे तेज गति से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
इन सेक्टर्स में सुधार की दरकार
किन्नरों को हेल्थ, एजूकेशन सेक्टर में बराबर का अधिकार चाहिए। उन्हें वर्तमान में सुरक्षा की दरकार है। इनकम के सोर्स की बहुत कमी है। अपने परंपरागत कार्यों के साथ उन्हें आधुनिक व्यवसायों में भी आगे आने का मौका दिया जाना चाहिए। किन्नर कहते हैं कि हमारे बारे में सोचा नही जाता है। अब शुरुआत ह़ुई है और इसे अमली जामा पहनाए जाने की जरूरत है। सरकार के साथ समाज को भी हमारे लिए आवाज उठानी चाहिए।
स्वामी कौशल्यानंद गिरि, उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य व किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर
तमाम सेक्टर में हमें लाभ की दरकार है। हेल्थ, एजूकेशन के साथ सिक्योरिटी भी चाहिए। तमाम सुविधाएं दिए जाने से हमारा भी सामाजिक विकास दूसरों की तरह हो सकेगा। तमाम किन्नर अभी समाज की निचली धारा में जीने को मजबूर हैं।
स्वामी कल्याणीनंद गिरि, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा
स्वामी मतंगी नंद गिरि, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा