मोबाइल पर गेम खेलते देख दोपहर में पिता ने डांटा तो सुबह कर लिया सुसाइडप्यार में नाबालिग और बच्चा समझ कर जिस बेटे की हर गलती और आदत को आप नजरअंदाज कर रहे हैं. दरअसल वह आप की हर बात को माइंड कर रहा है. काफी देर से मोबाइल पर गेम खेल रहे 13 वर्ष के बेटे सच्चिदानन्द को पिता ने डांट दिया था. पिता की इस डांट को वह दिल पर नहीं बल्कि दिमाग पर ले लिया. बात सोमवार दोपहर की थी पिता शाम तक सब कुछ भूल गया. अपने छोटे दुलारे बेटे को साथ खाना खिलाकर पिता सीने से लगाकर सो गया. मगर यह पिता की एक छोटी सी डाट को वह बालक नहीं भुला सका. मंगलवार सुबह दोनों भाइयों व छोटी बहन को स्कूल जाना था. लिहाजा रोज की तरह सभी बिस्तर से उठ गए. सच्चिदानन्द कमरे के बाहर खेल रहा था मां बच्चों के लिए टिफिन तैयार करने तो पिता पूजा पाठ कर ऑफिस की तैयारी में लगा था. इसी बीच मौका पाकर वह वह कमरे में फांसी लगा लिया. स्कूल के लिए तैयार करने के लिए मां उसे खोजने लगी. अचानक उसकी नजर कमरे में फांसी के फंदे से लटक रही बेटे की बॉडी पर गई तो चीख पड़ी. पूरे परिवार में सुबह-सुबह कोहराम मचा तो पड़ोसी भी इकट्ठा हो गए. खबर मिली और कर्नलगंज पुलिस पहुंची. पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया. जरा सोचिये कि बच्चों का मानसिक स्टेटस किस लेवल पर और किस तरफ जा रहा है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। हर अभिभावकों के लिए सबक भरी और हैरान करने वाली यह घटना कर्नलगंज थाना क्षेत्र की है। बिहार के गया निवासी रघुनाथ गुप्ता रेल पथ अल्ट्रा सोनिक में सीनियर सेक्शन इंजीनियर हैं। वह परिवार के साथ यहां यहां कर्नलगंज 1-बी टाइप-4 रेलवे कॉलोनी में रहते हैं। परिवार में पत्नी सुनीता व बड़ा बेटा शुभम, छोटा बेटा सच्चिदानन्द और सबसे छोटी बेटी अंजली है। शुभम बीएचएस में इंटर का छात्र है। जबकि इसी कॉलेज में सच्चिदानन्द कक्षा नौ का छात्र था। उसकी बहन अंजली ओल्ड कैंट केंद्रीय विद्यालय में हाई स्कूल की छात्रा था। पिता ने बताया कि सोमवार दोपहर की बात है सच्चिदानन्द मोबाइल पर गेम खेल रहा था। काफी देर से उसे मोबाइल पर गेम खलते हुए देखकर पिता ने डांटकर ऑफिस चला गया। दफ्तर से लौटा तो उसके तीनों बच्चे व पत्नी घर पर थी। रघुनाथ भूल चुका था कि वह छोटे बेटे को सुबह डांटा भी था। सब कुछ घर पर नार्मल था। रात में तीनों बच्चों को खाना साथ में खिलाया। इसके बाद हमेशा की तरह बेटों के साथ एक ही बिस्तर पर सो गया। बेटी सोने के लिए मां के पास चली गई। हर रोज की तरह मंगलवार को भी पूरा परिवार चार बजे उठकर रूटीन वर्क में जुट गया। उसकी पत्नी किचन में खाना व नाश्ता बनाने चली गई। सभी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। स्कूल के लिए बेटी की गाड़ी सात बजे के करीब आती थी। लिहाजा वह अपनी तैयारी में लगी थी। सच्चिदानन्द भाई शुभम संग स्कूल जाता था, लिहाजा शुभ ही उसका भी बैग और शूज आदि पालिस किया करता था। इस बीच सच्चिदानंद खेलता रहता था। मगर इस बार सच्चिदानन्द का दिमाग खेल में कम पिता की डांट को लेकर फितूर ज्यादा चल रहा था। मौका पाते ही वह घर में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। करीब साढ़े पांच छह बजे मां किचन से निकली और स्कूल के लिए तैयार करने की मंशा से बुलाने लगी। नहीं मिला तो वह इधर-उधर तलाशने लगी। उसका पिता व भाई बहन भी आसपास खोजने लगे। इस बीच मां की नजर उस कमरे में पड़ी जिसमें सच्चिदानन्द सुसाइड किया था। कमरे में उसकी लटक रही बॉडी को देखकर मां चीख पड़ी तो पूरे परिवार में मातम पसर गया।

छानबीन में जो बातें छनकर सामने आई हैं वह बेशक चिंतन का विषय है। मालूम चला है कि पिता ने उसे मोबाइल पर खेम खेलते देखकर डांट दिया था। बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया है।
विश्वजीत सिंह, थाना प्रभारी कर्नलगंज

Posted By: Inextlive