इस हास्टल का नहीं है कोई माई-बाप?
प्रयागराज ब्यूरो ।जिस मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल में उमेश पाल के कत्ल की स्क्रिप्ट लिखी गई थी उसका कोई माई बाप नहीं है। उमेश पाल की हत्या के बाद इसी हास्टल में स्क्रिप्ट राइटिंग में शामिल छात्र सदाकत खान रहा करता था।
एसटीएफ द्वारा इस हास्टल में छापेमारी की गई। इस कार्रवाई में एसटीएफ ने हास्टल के कमरा नंबर 36 से सदाकत सहित उसके चार दोस्तों को हिरासत में ले लिया था। सदाकत के मोबाइल की छानबीन के बाद चौंकाने वाला राज सामने आया था। उमेश पाल हत्याकांड से जुड़े कई क्लू सदाकत के मोबाइल में मिल गए थे। यहीं से इस पूरी घटना की जांच आगे बढ़ी थी और भारी संख्या में फोर्स के साथ हास्टल में छापेमारी की गई। इस छापेमारी में यहां से अवैध असले और दर्जनों की संख्या में बम आदि बरामद किए गए थे। इसके बाद तो यह हॉस्टल पुलिस के रडार पर आया गया। गहन छानबीन की गई थी। छानबीन के बाद पूरे हास्टल को खाली कराकर कमरे सील कर दिए गए थे। हास्टल से जुड़े उमेश पाल मर्डर केस के तार को देखते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन भी एक्शन में आ गया। इस कार्रवाई से छात्र परीक्षा की वजह से दरबदर भटकने लगे थे। यह देखते हुए प्रशासन ने उन छात्रों को हास्टल में रहने की अनुमति दी थी जिनकी परीक्षाएं थी। आदेश थे कि परीक्षा बाद वह भी हॉस्टल खाली कर देंगे। यहां सुरक्षा के मद्देनजर फोर्स लगा दी गई थी। परीक्षा देने के बाद छात्र चले गए और हॉस्टल पूरी तरह से खाली हो गया था। बावजूद इसके शुक्रवार को पुलिस यहां छापेमारी की तो फिर कमरों में तमंचे और बम बरामद हुए। यह बरामदगी पूर्व में हुई कार्रवाई पर बड़ा सवाल पैदा कर दी। प्रश्न यह है कि पाबंदी कि बावजूद आखिर इस हॉस्टल में छात्र कैसे फिर से रहने लगे वह भी अवैध असलहों और बम के साथ? यदि छात्र यहां आ भी गए थे तो जिम्मेदारों ने इस बात की खबर पुलिस को क्यों नहीं दी थी?
24
फरवरी को सुलेमसराय जयंतीपुर में हुई थी उमेश पाल की हत्या
36
नंबर रूम मुस्लिम हास्टल में लिखी गई थी कत्ल की स्क्रिप्ट
07
मार्च को सील किया गया था मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल
110
रूम के दरवाजे में पुलिस व प्रशासन ने लगा दिया था ताला
251
छात्रों को हॉस्टल में आवंटित किया गया था कमरा
65
छात्र हॉस्टल अवैध रूप से रहते थे, जांच में चला था मालूम
27
मार्च को गिरफ्तार हुआ था 36 नंबर रूम में रहने वाला छात्र सदाकत
उमेश पाल मर्डर केस की जांच में जुटी पुलिस को मालूम चला कि कत्ल की स्क्रिप्ट मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल में लिखी गई थी। इस पर एसटीएफ हॉस्टल के छात्र मुबस्सिर को उठा लिया। पूछताछ में पुलिस को मालूम चला था कि हास्टल में कमरा नंबर 36 सदाकत खान निवासी गाजीपुर के नाम अलॉट है। वह यहां रहकर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। उसके कमरे में अतीक गैंग से जुड़े गुर्गों का आना जाना था। इसी रूम से उमेश पाल के कत्ल की साजिश रची गई थी। साजिश में सदाकत भी शामिल था। 27 मार्च को पुलिस सदाकत को भी गिरफ्तार कर ली थी। उमेश पाल के कत्ल का तार मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल से जुड़ा यहां छापेमारी की गई। सात मार्च को पुलिस ने इस हॉस्टल को सील कर दिया था। हॉस्टल को पूरी तरह से खाली कराते हुए 110 कमरों में ताला लगा दी थी। नोटिस चस्पा की गई थी कि अब यहां अगले आदेश तक कोई नहीं रहेगा। बीच में कुछ वैध छात्र परेशान हुए तो उन्हें यहां रहकर परीक्षा देने के बाद जाने का आदेश दिया गया। छात्र परीक्षा देकर चले गए तो हॉस्टल पूरी तरह से खाली हो गया। इस हॉस्टल में किसी के रहने की अनुमति फिलहाल नहीं दी गई थी। बावजूद इसके हॉस्टल में शुक्रवार को छापेमारी की गई तो युवा कमरे अंदर मिले। इतना ही नहीं कमरे में अवैध असलहे व बम भी बरामद किए गए थे। सवाल यह है कि जब हॉस्टल सील था तो यह छात्र अंदर पहुंचे कैसे। हॉस्टल में बगैर अनुमति कोई न पहुंच सके, इसके लिए एयू प्रशासन साइंस डिपार्टमेंट के कटरा साइड खुलने वाले गेट को भी बंद करा दिया था। क्योंकि इस गेट से होकर भी छात्र मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल पहुंच जाते थे।