या देवी सर्वभूषु शक्तिरूपेण संस्थिता...
प्रयागराज (ब्यूरो)। पुरोहित कहते हैं कि नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना का विधान है। इन नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करने या कराने से मां भक्तों को इच्छित वरदान देती हैं। नवरात्र पर्व का जिले में एक अलग ही महत्व और लोगों में आस्था है। सुबह से ही भक्तजन गंगा और संगम स्नान करके मां की आराधना शुरू करते हैं। गंगा या संगम स्नान नहीं कर पाने वाले भक्त घरों में स्नान कर कलश स्थापना और पूजा पाठ शुरू करते हैं। बताते हैं कि सुबह 11.29 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। इस तिथि में कलश की स्थापना का कार्य शुभ व अच्छा माना गया है। सुबह 8.26 बजे तक एंद्र योग है, इस योग में घट यानी कलश स्थापना उत्तम है। कहना है कि नवरात्र के संवत्सर के स्वागत में घरों पर भगवा झंडे लगाकर शंख व घंट घडिय़ाल की ध्वनि करनी चाहिए।
पूरे नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा का नवरात्र में विधान है। नवरात्र में मां की पूजा विधि विधान व स्वच्छता के साथ करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिनों तक व्रत रखेंगे उन्हें विस्तर पर शयन भी नहीं करना चाहिए।पं। विमल मिश्र, आचार्य