मानसिक उन्माद से कंट्रोल में नही रहता है दिमाग पांच फीसदी हैं पीडि़तनफरत कुंठा और डिप्रेशन कराता है अपनों से अपनों का खून

प्रयागराज (ब्यूरो)।बुधवार को करेली एरिया में हुई वीभत्स घटना ने एक बार फिर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आखिर ऐसा कौन सा कारण था जिसने एक व्यक्ति से अपनी मांं और बहन का खून करवा दिया। क्या कोई अचानक से इतना उग्र या उन्मादित हो सकता है। एक्सपट्र्स की मानें तो सोसायटी में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं। हम चाह कर भी उनकी आदतों को नजरअंदाज कर देते हैं।

मानसिक उन्माद को पहचानना जरूरी
क्लीनिकल टर्म में मानसिक उन्माद को एग्रेसिव बिहेवियर कहा जाता है।
शुरुआती चरण में व्यक्ति बात बात पर चीजे फेंकना, गाली देना या अपशब्द बोलना शुरू कर देता है।
अगली स्टेज में वह अचानक मारपीट पर आमादा होने लगता है।
अंतिम स्टेज में वह किसी की जान लेने में भी संकोच नही करता है।
एक सर्वे के मुताबिक 74 फीसदी लोग तनाव की चपेट में हैं।

इनको नहीं होता किए का पछतावा
करेली के रहने वाले आरिफ ने बुधवार को क्रोध में आकर अपनी मां और बहन को कुल्हाड़ी से काट डाला। इस दौरान उसने अपने पिता पर भी हमले किए। पुलिस टीम पर भी तेजाब से हमला किया। बताया गया कि वह प्रापर्टी के विवाद को लेकर उग्र था। इसके पहले भी वह परिवार में विवाद करता था लेकिन परिजनों ने उस पर गौर करने के बजाय इग्नोर कर दिया। जिसका अंत इतना भयानक हुआ।

मां को बैट से पीट दिया
सिविल लाइंस के एक कांवेंट स्कूल में पढऩे वाले 15 साल के लड़के ने अपनी मां बैट से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। परिजनों ने इसका पता होने पर किशोर को मनोचिकित्सक को दिखाया। पूछताछ में पता चला कि वह ड्राई नशा करता है। घरवालों ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने अपनी मां पर जानलेवा हमला कर दिया। उसकी काउंसिलिंंग चल रही है।

भाई पर कर दिया हमला
नैनी के रहने वाले 19 साल के गोल्डी ने अपने भाई पर प्रेशर कुकर से हमला कर दिया। पूछने पर युवक ने बताया कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है लेकिन परिजन उसे मना कर रहे हैं। इस पर उसे अचानक क्रोध आया और उसने परिजनों पर हमला कर दिया। बीच बचाव के लिए बीच में आया भाई हमले का शिकार हो गया।

इन लक्षणों से होगी रोगी की पहचान
बात-बात पर गुस्सा जाना और रिएक्ट कर देना।
घर या कार्यस्थल पर अभद्रता का परिचय देना।
आए दिन मारपीट की घटनाओं को अंजाम देना।
अकेले में रहना, खुद की चीजों पर अधिक अधिकार जताना।
शांत होकर भी अचानक उग्र हो जाना और हमला कर बैठना।
छोटी-छोटी चीजों के लिए जिद करना और मारपीट पर उतारू हो जाना।

ऐसे होगा बचाव
हरकतों या लक्षणों के सामने आने पर मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से राय लें।
मारपीट या हिंसक फिल्मों का प्रदर्शन ऐसे लोगों के सामने न हो इसका ध्यान रखें
परिजनों पर हाथ उठाने वाले बच्चों का मानसिक इलाज कराना।
अधिक गुस्सा आता है तो हमेशा हल्के माहौल पर रहें।
परिवार या कार्यस्थल में कोई एग्रेसिव बिहेवियर से ग्रस्त है तो उसके प्रति दयाभाव रखें।

पांच फीसदी लोग इस एग्रेसिव बिहेवियर के शिकार हैं। कभी यह हाइपर होता तो कभी हल्का असर दिखाता है। आरिफ के मामले वह अंतिम चरण में पहुंच चुका था लेकिन परिजनों ने ध्यान नही दिया। उसकी आदतों से डरते रहे, जिसका परिणाम इस तरह सामने आया। जब उसने पूर्व में विवाद किया था तभी उसका इलाज शुरू कराते और हमेशा एलर्ट मोड पर रहते।
डॉ। राकेश पासवान
मनोचिकित्सक

समय के साथ व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होता है। अगर वह लगातार तनाव या कुंठा में है तो उसके व्यक्तित्व में तेजी से बदलाव आता है। उसके अंदर से अच्छे-बुरे का ज्ञान खत्म हो जाता है। छोटी-छोटी बातों को वह बड़ी नजर से देखता है और आरिफ की तरह बड़ा रिएक्शन देता है। बेहतर होता की परिवार के सभी लोग एक होकर उसकी काउंंसिलिंग कराते।
डॉ। कमलेश तिवारी
मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive