इन शहरियों को नहीं सुधरने की आदत है
प्रयागराज (ब्यूरो)। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने के लिए शहर में जागरूकता अभियान चलाया गया। कूड़ा कलेक्शन के लिए डोर-टू-डोर गाडिय़ां चलाई जा रही है। बावजूद इसके शहर के अंदर करीब 70 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो गीला और सूखा कचरा मिक्स करने से बाज नहीं आ रहे। नगर निगम व कूड़ा कलेक्शन करने वालों की तमाम कोशिशों पर ऐसे लोग पानी फेरने पर आमादा है। इन सत्तर प्रतिशत लोगों की वजह से मोहल्ले-मोहल्ले गाडिय़ों से कूड़ा कलेक्शन करने वाले कर्मचारी परेशान हैं। मौके पर उन्हें गीला और सूखा दिया गया कचरा सब समेट के गाड़ी में भरना होता है। इसके बाद सिविल लाइंस कचरा डंपिंग प्वाइंट पर लाकर गीला और सूखा कचरे को अलग-अलग छटनी कराई जाती है। इसके बाद उसे बसवार ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जाता है। ऐसे हालात में स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को एक नंबर पर लोग कैसे पहुंचा पाएंगे? यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
सुधरे ही नहीं तो क्या देंगे ओपीनियन
शहर में सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता और सिटी की स्वच्छता को लेकर सर्वे होने वाला है। यह स्वच्छता सर्वेक्षण ऑनलाइन होगा। जिसमें पब्लिक को ही अपना ओपीनियन देना है। इस ऑनलाइन सर्वे में कुल नौ तरह के सवाल पूछे गए हैं। जिसमें एक प्रश्न यह भी है कि 'क्या आप अपने घर का गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखते हैं.Ó इस प्रश्न का सही उत्तर जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्ट करने वाले गाड़ी चालकों व उनके सुपरवाइजर से बात की गई। कचरा गाड़ी चालकों के मुताबिक शहर में 70 प्रतिशत लोग आज भी पुराने ढर्रे पर हैं। वह घर में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग करने के बजाय एक में ही मिक्स कर देते हैं। जबकि नगर निगम द्वारा कचरा को अलग-अलग करके रखने की व देने के लिए लोगों को कई दफा जागरूक किया जा चुका है। लोग जागरूक हों इसके लिए कूड़ा गाड़ी में माइक के जरिए गाना बजा कर लोगों की आदत में सुधार के प्रयास किए जाते हैं। बावजूद इसके वे लोग सुधरने का नाम नहीं नहीं हैं। चालकों कहते हैं कि सुबह सुबह गाड़ी पर मिक्स कचरा देने वालों को समझाया भी जाता है कि वे गीले में सूखा कचरा नहीं मिलाएं। मगर, ऐसे लोग फिर भी आदत से बाज नहीं आ रहे।
मजबूरी में कर्मचारी करते हैं छटाई
कूड़ा गाड़ी के चालक कहते हैं कि डोर टू डोर कलेक्शन के वक्त अब कचरा मिक्स हो या अलग-अलग लेना मजबूरी होती है। क्योंकि वह किसी का कचरा लेने से मना नहीं कर सकते। इस तरह के मिक्स कचरे को लेने के बाद गाड़ी में भरकर डंपिंग प्वाइंट पर ले जाया जाता है। जहां पर गीला व सूखा कचरा की अलग-अलग छटाई की जाती है। इसके बाद यहां से गीला अलग और सूखा कचरा अलग बड़ी गाड़ी में लादकर नैनी स्थित बसवार प्लांट ले जाया जाता है।
घर-घर कूड़ा कलेक्शन करने वाली गाडिय़ों के चालक कहते हैं कि तीस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो नियमों के काफी पक्के हैं। वह गीला कचरा अलग-और सूखा अलग रखते हैं। गाड़ी गेट या गली में पहुंचते ही कचरा लाकर सीधे गाड़ी में ही डालते हैं या पकड़ा देते हैं। कहते हैं कि यह वे लोग हैं जो अपार्टमेंट, कॉलोनी या फिर बेल एजूकेटेड व पॉश एरिया में रहते हैं।
रोड पर अब काफी लोग नहीं डालते कचरा
कूड़ा कलेक्शन गाड़ी चलाने वाले चालकों से हुई बातचीत में एक बात सुकून देने वाली भी सामने आई
चालकों ने कहा कि शहर के करीब 65 प्रतिशत लोग अब रोड पर घरों का कूड़ा फेकना बंद कर दिए हैं।
उनके दरवाजे व गली में रोड पर कचरा देखने को नहीं मिलता, वह सीधे कूड़ा गाड़ी में ही कचरा डालते हैं
जबकि 35 प्रतिशत लोग आज जहां तहां रोड पर कचरा गिरा कर घर के अंदर पैक हो जाते हैं
सुबह कचरा गाड़ी लेकर पहुंचने पर रोड के इस कूड़े को उठाकर गाड़ी में भरना पड़ता है
हमारी कूड़ा कलेक्शन की गाडिय़ां सुबह साढ़े से पांच बजे के बीच मोहल्लों में पहुंच जाती हैं। करीब तीस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो गीला व सूखा कचरा अलग-अलग देते हैं। बाकी के लोग इतना जागरूक किए जाने के बावजूद कचरे को मिक्स कर देते हैं। उसे लोकर अलग से छटाई कराने के बाद प्लांट भेजा जाता है।
गौरव श्रीवास्तव, सीनियर सुपरवाइजर डीटीडीसी नगर निगम