शूटर्स का अतीक अशरफ को मौत के घाट उतारने की स्टाइल दे रही है संकेत


प्रयागराज ब्यूरो । काल्विन हॉस्पिटल के गेट पर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले शातिर शूटर सिर्फ तीन ही नहीं थे। पीछे से खूंखार शूटर भी थे जो उन्हें बैकअप दे रहे थे। सभी शूटर किसी भी सूरत में अतीक और अशरफ की हत्या के इरादे से पहुंचे थे। सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों शूटरों का सरेंडर किया जाना भी प्लान का हिस्सा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि कुछ इसी तरह की रिपोर्ट जनपद पुलिस द्वारा शीर्ष अफसरों को भेजी गई है। क्योंकि, घटना के बाद लखनऊ में बैठे अधिकारियों के जरिए सवाल किया गया था कि पुलिस शूटरों पर गोली क्यों नहीं चलाई? फिलहाल इन बातों की आधिकारिक पुष्टि तो नहीं है, मगर विभागीय सूत्र कुछ ऐसी ही बातें बता रहे हैं।

वारदात के तुरंत बाद भागे थे कई लोग


मीडियाकर्मी के वेश में पहुंचे शूटर यह तय करके पहुंचे थे कि किसी भी सूरत में दोनों को जिंदा नहीं छोडऩा है। शायद यही कारण रहा कि उनके जरिए अतीक और अशरफ की मौत कंफर्म करने के लिए कई राउंड दनादन गोलियां बरसाईं गईं। यह ठीक उसी अंदाज में था जैसा कि उमेश पाल की हत्या को अंजाम दिये जाने के समय हुआ था। दर्जनों पुलिसकर्मियों के बीच घुसकर जिस तरह बेखौफ शूटर वारदात को अंजाम दिए, उस क्राइम सीन को देखते हुए लोग तरह तरह तरह के मायने निकाल रहे हैं। कहा जा रहा है कि शूटरों को यह मालूम रहा होगा कि उनके पीछे बैकअप में अत्याधुनिक गन और गोलों से लैश साथी मौजूद हैं। शूटआउट को अपनी आंखों से देखने वाले लोग दबी जुबान कहते हैं कि तीनों शूटर जमीन पर गिरे अतीक और अशरफ के ऊपर गोलयां बरसाने के बाद सरेंडर कर दिए, उसी वक्त दूर खड़ी एक गाड़ी में बैठे कुछ लोग बड़ी स्पीड में भागे थे। लोग मान रहे हैं कि इसी गाड़ी में शूटरों को बैकअप दे रहे उनके साथी मौजूद थे। जब देखे कि अतीक और अशरफ की मौत हो गई और तीनों पकड़ लिए गए तो वे भाग निकले। अफसरों से भी हो रहे सवाल

पुलिस विभाग से जुड़े सूत्र कहते हैं कि कुछ ऐसी ही आशंका सुरक्षा में उस वक्त रहे पुलिस के जवानों को भी थी। सूत्र कहते हैं कि घटना के बाद नाराज शीर्ष अफसरों के द्वारा पुलिस से सवाल पूछे गए थे। कहा गया था कि जब सुरक्षा में फोर्स थी तो शूटरों पर गोली क्यों नहीं चलाई। सूत्रों के अनुसार इसका जवाब दिया गया कि मीडियाकर्मियों की भीड़ थी, गोली चलाने पर निर्दोष लोगों को लग सकती थी। सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो जो जवाब जिला पुलिस दी है वह पब्लिक की बातों से काफी मैच करती है। बताते हैं कि पुलिस अफसरों को बताया गया है कि घटना के वक्त शूटरों के बैकअप में उसके और साथी रहे होंगे। यदि पुलिस फायरिंग करती और बैकअप दे रहे बदमाश हमला करते तो कई पुलिस कर्मियों व पब्लिक की भी जान जा सकती थी। खैर इन बातों में कितनी सच्चाई है यह बात पुलिस की छानबीन के बाद ही मालूम चलेगा।

Posted By: Inextlive