ठेकेदारों से कमीशन लेना और मकान कब्जाना बाएं हाथ का था खेलयमुनापार के एक सफेदपोश के संरक्षण में खूब फलाफूला पप्पू

प्रयागराज ब्यूरो । वक्त की गर्दिश की मार झेल रहे पप्पू गंजिया का नया ठिकाना अब नैनी जेल है। एक समय जलवे के साथ निकलने वाला पप्पू गंजिया वक्त की मार बर्दाश्त नहीं कर सका और अब उसे नैनी जेल की चहारदीवारियों के बीच रहना पड़ेगा। यमुनापार के एक सफेदपोश की छत्रछाया में खूब फलेफूले पप्पू गंजिया को शायद ही अंदाजा रहा हो कि उसके नाम का जलवा एक दिन खत्म हो जाएगा और आम अपराधी की तरह उसे नैनी जेल में रहना होगा। खैर, राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार पप्पू गंजिया को मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद नैनी जेल में दाखिल कर दिया गया।

रंगदारी वसूलने में हो गया माहिर
मामूली परिवार में जन्मे पप्पू गंजिया ने जरायम की दुनिया में बड़ा नाम पैदा किया। गुलाब महरा की हत्या के बाद पप्पू गंजिया ने पलट कर फिर पीछे नहीं देखा। पप्पू जरायम की दुनिया में दौलत और शोहरत की सीढिय़ां चढ़ता गया। 2000 के दशक में उसे यमुनापार के एक कद्दावर सफेदपोश का संरक्षण प्राप्त हो गया। इसके बाद पप्पू गंजिया का नाम बिकने लगा। यमुनापार इलाके में कोई ऐसा कारोबारी नहीं है, जिससे पप्पू गंजिया ने रंगदारी न वसूली की हो। न जाने कितने मकान के सामने खड़े होकर उसके गुर्गों ने काम रुकवा दिया। इसके बाद उस मकान में काम तभी शुरु हुआ जब पप्पू गंजिया के पास चढ़ावा पहुंचा तब। नए आबाद खरकौनी मोहल्ले में शायद ही कोई बचा हो जिसने मकान बनवाने के पहले पप्पू गंजिया को रंगदारी न दी हो। इसके अलावा यमुनापार में किसी भी विभाग के ठेकेदार को तभी काम करने दिया गया जब पप्पू गंजिया के पास कमीशन पहुंचा दिया गया।
सफेदपोश के संरक्षण में बचता रहा पुलिस से
पप्पू गंजिया यमुनापार के सफेदपोश के संरक्षण में पुलिस से बचता रहा। या यूं कहें कि नैनी कोतवाली में कोतवाल तो तैनात होते रहे, मगर जब मामला पप्पू गंजिया का होता था तब सुनवाई खुद पप्पू ही करता था। पुलिस पप्पू के मामले में तमाशबीन बन जाती थी। सफेदपोश को एग्जाई वोट की जरुरत रहती थी और पप्पू को पुलिस से बचाव की। दोनों की जरुरत पूरी होती रही और सफेदपोश ने कई चुनाव जीते। जबकि पप्पू ने अपराध के धंधे में करोड़ों कमाए।

दरबार में दरी पर बैठते थे लोग
पप्पू गंजिया को 2010 के बाद राजा महराजाओं की तरह दरबार चलाने का शौक हो गया। बड़े कमरे में बड़े सोफे पर बैठकर पप्पू गंजिया फैसले सुनाता था। उसके दरबार में धंधे या फिर जमीन की पंचायत के लिए आने वाले लोग फर्श पर दरी में बैठते थे। कमरे में और भी सोफे होते थे, मगर उसमें बगैर पप्पू की इजाजत के कोई बैठता नहीं था।

कुत्ते पालने का था शौकीन
पप्पू गंजिया अपने बंगले में विदेशी नस्ल के कुत्ते पालने का शौकीन था। जब वह दरबार में आता था तो उसके साथ विदेशी नस्ल के कुत्ते जरुर होते थे। जो उसे दाएं बाएं रहते थे। खूंखार कुत्तों को देखकर दरबार में आए लोगों के होश यूं ही फाख्ता हो जाते थे।

Posted By: Inextlive