इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में संस्कृत सप्ताह के अन्तर्गत शैक्षिक प्रतियोगिताएं व विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन किया गया. अध्यक्षता एचओडी प्रो. रामसेवक दुबे ने की. लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामसुमेर यादव ने संस्कृत सम्भाषण पर बल देते हुए कहा कि संस्कृत मात्र एकभाषा नहीं अपितु सम्पूर्ण ज्ञान है. जिसे प्रतिदिन सम्पूर्ण वर्ष आजीवन आत्मसात करने की आवश्यता है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पधारे रिटायर प्रो। उमेश प्रसाद सिंह ने अपने व्यक्तिगत संस्मरणों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को बताया कि उनको संस्कृत से क्या-क्या प्राप्त हो सकता है। पद, पैसा, प्रतिष्ठा और सुखी जीवन जीने की कला सब कुछ संस्कृत भाषा के अध्ययन में अन्तर्निहित है। प्रो। उमाकान्त यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रो। प्रयाग नारायण मिश्र, प्रो। अनिल प्रताप गिरि, डॉ। निरूपमा त्रिपाठी, डॉ। सुरेन्द्र पाल सिंह, डॉ। कनकलता दुबे, डॉ। कौमुदी श्रीवास्तव, डॉ। ज्योति कपूर, डॉ। अर्चना सिंह, डॉ। मीरा सिंह तथा विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के समस्त सहायक आचार्यों की उपस्थिति रही। संचालन डॉ। विनोद कुमार द्वारा किया गया। इस मौके पर आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया। संज्ञाप्रकरण कण्ठस्थीकरण प्रतियोगिता में रितिक त्रिपाठी ने पहला, आशुतोष भट्ट ने दूसरा और अर्चना यादव ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। काव्यप्रकाश कण्ठस्थीकरण प्रतियोगिता के विजेता आशुतोष भट्ट रहे। दूसरे स्थान पर प्राची और तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से अर्चना यादव, ऋतिक त्रिपाठी रहे।

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