'अब न वैसे शायर हैं न कवि
प्रयागराज (ब्यूरो)। शब्बीर कुमार कहते हैं किसी जमाने में मैं दो से आठ रूपये में वडोदरा में चित्र बना कर कमा लेता था और उससे अपनी पॉकेट मनी निकाल लेता था। जब तक रेडियो पर गीत बजता था मेरी कलम और कूची कैनवास पर पोट्रेट बनाती थी। संगीत का बेहद शौक था। दोस्तों के कहने पर मैंने आर्केस्ट्रा में गाया। मेरी आवाज को काफी पसंद किया गया। इस तरह मेरा हौसला बढ़ा। सोलह वर्ष की उम्र में 1965 में बड़ोदरा में एक संगीत प्रतियोगिता में भागीदारी मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद स्टेज शो में मौका मिलता गया। करीब डेढ़ दशक के संघर्ष के बाद सबसे पहले संगीतकार ऊषा खन्ना ने फिल्म तजुर्बा में ब्रेक दिया। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने कुली फिल्म में गाने का मौका दिया। फिल्म कुली के गीत पहले रिकॉर्ड हो गये थे लेकिन अमिताभ बच्चन के शूटिंग के दौरान घायल हो जाने पर फिल्म देर से प्रदर्शित हुई। आरडीबर्मन साहब के साथ बेताब फिल्म से प्ले बैक सिंगर के रुप में पहचान मिली। स्वरकोकिला लता मंगेशकर जी के साथ सभी युगल गीत सुपरहिट साबित हुए। लताजी के साथ गाना किसी भी आर्टिस्ट के लिये जि़न्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो सकता है जो मुझे भी मिला। रफी साहब तो मेरे लिये ख़ुदा हैं। वे मेरे आदर्श हैं।
अब न वैसे शायर हैं न कविमहान गायक विश्वविद्यालय के समान किशोर दा, रफी साहब, मुकेशजी, मन्ना डे, लताजी और आशाजी तो हम गाने वालों के लिये एक तरह के घराने हैं। इस बात को कुबूल करने में कोई संकोच और झिझक नहीं कि कहीं न कहीं इन सर्वकालिक महान आवाजों से ही हमने गाना सीखा और ये ही आवाजे और फनकार हमारे लिये एक विश्वविद्यालय रहे हैं। गीत में बोल अहम फिल्मी गीत की खासियत होते हैं शब्द और अब न वैसे शायर हैं न कवि जिन्हें फिल्म की सिचुएशन पर बात को कहने का माद्दा हो। प्ले बैक सिंगिंग अहसास की गायकी है
मेरा बेटा दिलशाद भी गा रहा है उसने एआर रहमान के लिये ब्लू में गाया है। और फिल्म रॉ-वन में भी उसकी आवाज सुनाई दी है। आने वाले दिनों में एक रोमांटिक एलबम भी जारी होगा। साथ ही फिल्म लकीर का फकीर में भी अपनी आवाज दी है। शायरी, कविता को समझें नई आवाजों के लिए मैं यह कहना चाहता हूं कि प्ले बैक सिंगिंग अहसास की गायकी है। सबसे पहले शब्द की अहमियत को समझो। शायरी, कविता को समझो तो जानोगे कैसे अच्छा गया जाता है।
इन गीतों ने दिलाई लोकप्रियता
पथरचट्टी श्रीराम राज्याभिषेक कार्यक्रम में शिरकत करने आए प्लेबैक सिंगर शब्बीर कुमार को सबसे ज्यादा लोकप्रियता बेताब फिल्म के गाने जब हम जवां होंगे से मिली। इसके बाद उनके कई गाने हिट हुए। कुली मूवी का गीत सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं। और मुझे पीने का शौक नही। ने भी इनको अलग पहचान दिलाई। मेरी जंग मूवी का गीत जिंदगी हर कदम एक नई जंग है। भी शब्बीर कुमार की हिट लिस्ट में एक है। इन गीतों ने दिलाई लोकप्रियता पथरचट्टी श्रीराम राज्याभिषेक कार्यक्रम में शिरकत करने आए प्लेबैक सिंगर शब्बीर कुमार को सबसे ज्यादा लोकप्रियता बेताब फिल्म के गाने जब हम जवां होंगे से मिली। इसके बाद उनके कई गाने हिट हुए। कुली मूवी का गीत सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं। और मुझे पीने का शौक नही। ने भी इनको अलग पहचान दिलाई। मेरी जंग मूवी का गीत जिंदगी हर कदम एक नई जंग है। भी शब्बीर कुमार की हिट लिस्ट में एक है।