जोश के साथ मनाया गया इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का 138वां स्थापना दिवससेवा-निवृत्त शिक्षकों का अभिनंदन समारोह स्पोर्ट्स बोर्ड ने करवाई प्रतियोगिता


प्रयागराज ब्यूरो ।इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के 138वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य और हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के शताब्दी वर्ष पर सोमवार को हिंदी विभाग के सेवा-निवृत्त शिक्षकों का अभिनंदन समारोह हुआ। अध्यक्षता कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव ने की। प्रो। ईश्वर टोपा सभागार में हुए अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने कुलगीत गाया। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो। लालसा यादव की अगुवाई में हिंदी विभाग के सभी शिक्षकों ने कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।प्रगति के पथ पर अग्रसर
इस मौके पर कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव ने सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों के स्थापना दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। एक कविता के माध्यम से उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रकृति में भंवर से लडऩा और उलझना है। हमारी प्रकृति है कि हम संघर्ष से सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनाने में सभी का सहयोग मिल रहा है। विश्वविद्यालय में 350 नए शिक्षक आए हैं तो 400 से अधिक गैर शिक्षक कर्मचारी भी मिले हैं। इविवि को क्यूएस वल्र्ड रैंकिग में पहली बार स्थान मिला है। दुष्यंत कुमार की कविता 'फिर यहां का मौसम धीरे-धीरे बदलने लगा हैÓ के माध्यम से उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक फिर बदलाव की दिशा में है। शिक्षा के साथ खेल-कूद को भी अहमियत दी जा रही है। करेंगे हिंदी का सम्मानप्रो। संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी राज्यभाषा तो बनी लेकिन कुछ कारणों से राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। हिंदी मेरे ह्रदय की भाषा बन गई है। हमारा आत्मसम्मान तभी तक बरकरार रहेगा जब हम अपनी हिंदी भाषा को सम्मान देंगे। अल्लामा इकबाल की पंक्तियों ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रजा क्या हैÓ के माध्यम से उन्होंने सभी उपस्थित लोगों में जोश भरा। उन्होंने कहा कि हिंदी विभाग का स्वर्णिम इतिहास रहा है। मेरा प्रयास है कि हिंदी विभाग और प्रगति करे। उहोंने कहा कि 'नई कविताÓ इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ही देन है। सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो। राजेंद्र कुमार ने कहा कि शिक्षक जीवनभर ज्ञान के प्रति जागरूक रहता है। सभी शिक्षक ज्ञान के प्रति जिज्ञासु रहे और विद्यार्थियों को जिज्ञासु बनाते रहें। एक विद्यार्थी की पहचान उसके शिक्षक से होती है। बताया गौरवमयी इतिहास


इससे पहले हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो। लालसा यादव ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने हिंदी विभाग के पूर्व शिक्षकों के कार्यकाल और गौरवमयी इतिहास पर प्रकाश डाला। कुलानुशासक प्रो। राकेश सिंह ने कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव के लिए अभिनंदन पत्र पढ़ा। मंच संचालन हिंदी विभाग के शिक्षक डा। कुमार बीरेंद्र ने किया। हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। प्रणय कृष्ण ने आभार व्यक्त किया। कुलसचिव प्रो। आशीष खरे, कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो। संजय सक्सेना, अधिष्ठाता- कॉलेज डेवलपमेंट प्रो। एनके शुक्ल, अधिष्ठाता- छात्र कल्याण प्रो। हर्ष कुमार, जनसंपर्क अधिकारी प्रो। जया कपूर, दृश्यकला विभाग के अध्यक्ष प्रो। अरूण जेटली को हिंदी विभाग की ओर से पौधा देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के शिक्षक औश्र विद्यार्थी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive