इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बवाल के दूसरे दिन मंगलवार को भी माहौल गर्म रहा. छात्र संघ भवन के सामने चल रहे धरना स्थल पर मौजूद सैकड़ों छात्रों मे बगावत की चिंगारी सुलग रही थी. यूनिवर्सिटी प्रशासन व पुलिस के खिलाफ छात्रों द्वारा जमकर नारेबाजी की गई. भारी संख्या में तैनात पुलिस व पीएसी के जवान उनकी हर एक्टिविटी पर नजर गड़ाए गए.

छात्र संघ भवन की बिल्डिंग के दरवाजे का ताला तोड़ घुसे अंदर, छत से की नारेबाजी
एयू कैंपस परिसर में छात्रों ने किया उग्र आंदोलन व प्रदर्शन
कर्नलगंज थाना जाने के लिए गेट से बाहर आते ही जवानों ने रोका, झड़प बाद लौटे छात्र

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अधिकारियों के साथ एसओजी, क्राइम ब्रांच व एलआईयू सहित कई जांच एजेंसियों के लोग भी यहां एक्टिव दिखाई दिए। अचानक छात्रों का हुजूम नारेबाजी करते हुए गेट के बाहर रोड पर आ गया। कर्नलगंज थाने पर जाकर प्रदर्शन व धरना देने की उनकी मंशा पर को भांपते हुए फोर्स सक्रिय हो गई। पीएसी व पुलिस के जवानों संग अफसर तक उन्हें रोकने के लिए दौड़ पड़े। फोर्स के रुख को भांपते हुए प्रदर्शन कर रहे छात्र नारा लगाते हुए फिर यूनिवर्सिटी गेट के अंदर चले गए। इस बीच छात्र व छात्र नेताओं का एक ग्रुप छात्र संघ भवन पर जा पहुंचा। दरवाजे में बंद ताला तो को तोड़कर छात्र भवन के अंदर व छात पर पहुंच गए। छात्र संघ भवन के छत पर पहुंचे छात्र नारा लगाते हुए भाषणबाजी की गई।
अफसरों से केस वापसी की मांग
फोर्स के दबाव में गेट के अंदर पहुंचे छात्र नेताओं द्वारा जमकर नारेबाजी शुरू कर दिए। इस प्रदर्शन में मौजूदा व पूर्व छात्र के साथ कुछ पूर्व छात्र नेता भी शामिल रहे। छात्र नेताओं का कहना था कि पुलिस छात्र कई ऐसे छात्रों पर केस दर्ज किया गया जो घटना में थे ही नहीं। आरोप था कि सोमवार को हुए बवाल के पीछे यूनिवर्सिटी प्रशासन का हाथ है। वीसी के इशारे में सुरक्षा गार्डों के द्वारा पूर्व छात्र नेता विवेकानन्द पाठक पर हमला किया गया। धरना प्रदर्शन में छात्र नेता विवेकानन्द पाठक भी मौजूद रहे। छात्रों के जरिए की गई नारेबाजी व हंगामें के बीच दोपहर बाद द्विपक्षीय वार्ता की गई। पुलिस के अधिकारियों से हुई वार्ता में छात्र व छात्र नेताओं पर दर्ज मुकदमें को वापस लेने की मांग व दोषी सुरक्षा गार्डों पर कार्रवाई की बात कही गई। कहा गया कि उनकी मांग को 48 घंटे के अंदर पूरा किया जाय। मांग पूर्ण नहीं होने पर वह आंदोलन को और भी मजबूती के साथ करने के लिए बाध्य होंगे। उनकी मांग पर पुलिस उनकी मांग को देखते हुए अफसरों द्वारा जांच 72 घंटे का समय दिया गया।
खंगाला जाएगा फुटेज
अधिकारियों ने छात्रों से कहा कि इस बीच वह मामले की जांच और फुटेज को चेक करेंगे। छात्रों को अफसरों की ओर से भरोसा दिलाया गया कि जो छात्र निर्दोष होंगे उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि छात्र मुकदमा वापस होने तक आंदोलन को जारी रखने की बात करते रहे। नाराज छात्रों की ओर से आरोपित सुरक्षा गार्डों को गिरफ्तार किए जाने की भी मांग की गई। कहा गया कि यूनिवर्सिटी में सुरक्षा गार्ड लगाने वाली कंपनी को भी हटाया जाय। यूनिवर्सिटी में उग्र प्रदर्शन व आंदोलन कर रहे छात्रों की भी धीरे-धीरे शाम चार बजे तक कम हो गई। गिने चुने छात्र व नेता ही धरना स्थल पर मौजूद रहे। फिर भी शांति व सुरक्षा एवं माहौल को देखते हुए यूनिवर्सिटी में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे। हर दस मिनट आधे घंटे पर अधिकारी जरिए फोन मौके पर रहे अफसरों से हालात और माहौल का जायजा लेते रहे। बताते चलेंकि सोमवार शाम यूनिवर्सिटी के अंदर जा रहे पूर्व छात्र नेता विवेकानन्द पाठक व उनके साथियों और सुरक्षा गार्डों के बीच कहा सुनी हो गई थी। इसके बाद अचानक सुरक्षा गार्डों के जरिए पूर्व छात्र नेता की जमकर पिटाई कर दी गई थी। इसी घटना के बाद यूनिवर्सिटी में जमकर बवाल हुआ था। पूर्व छात्र नेता पर हुए हमले से नाराज छात्रों के जरिए यूनिवर्सिटी में तोडफ़ोड़, पथराव व आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया था।

छात्रों ने कहा तीन साल से बंद था ताला
इस बीच प्रदर्शन व नारेबाजी कर रहे कुछ छात्र और छात्र नेता छात्र संघ भवन पर जा पहुंचे। इनके जरिए छात्र संघ भवन के हाल में लगा ताला तोड़ दिया गया। दरवाजा खुलते ही छात्र नारेबाजी करते हुए हाल के अंदर पहुंच गए। कुछ छात्र सीढिय़ों के रास्ते से छात्र संघ भवन की छत पर गए और नारेबाजी शुरू कर दिए। बिल्डिंग की छत पर चढ़े छात्रों के द्वारा आवाज दो हम एक हैं जैसे नारे बुलंद किए। नीचे उतरे कुछ छात्रों का कहना था कि 2019 से छात्र संघ बहाली को लेकर आंदोलन चल रहा है। इसी दरम्यान इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा छात्र संघ भवन में ताला बंद करा गया था, जिसे आज खोला गया। छात्र संघ भी बहाल करना ही पड़ेगा। बिल्डिंग के अंदर से बाहर आए छात्रों के जरिए यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों से हुई वार्ता में उनके जरिए दर्ज मुकदमे को वापस लेने की मांग की गई है। उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि किसी भी निर्दोष पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्हें अफसरों की ओर से 72 घंटे का वक्त दिया गया है। इस बीच फुटेज भी चेक किए जाएंगे। जिनके नाम मुकदमे
में हैं और व जांच में निर्दोष पाए जाएंगे तो उनपर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
संतोष कुमार मीना, पुलिस उपायुक्त नगर

Posted By: Inextlive