खोदी गई सड़कों और पटरियों के फायदे भी हैं..
आज मुश्किल, भविष्य में दे सकती है पानी की समस्या हल
शहर में जगह-जगह खोदी गई सडकों से ग्राउंड वॉटर रीचार्ज की संभावना बढ़ी balaji.kesharwani@inext.co.in ALLAHABAD: कुंभ मेला 2019 को लेकर डेवलपमेंट वर्क के चक्कर में सड़कें-गलियां खोद दी गई हैं। मलबे के ढेर से शहर के लोग परेशान हैं। यह एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि पब्लिक की इस परेशानी में उनकी बेहतरी छिपी है। एक नहीं कई तरीके के। कंक्रीट से पाताल तक कैसे पहुंचे जलकोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ सालों में शहर का विकास हुआ है। ये विकास विनाश लेकर भी आया है। जलदोहन से भूगर्भ जलस्तर नीचे खिसकता जा रहा है। पक्के निर्माण होने, सड़कों के पक्के होने, तालाब-कुंओं का अस्तित्व समाप्त होने और बारिश का पानी नाला-नाली से होते हुए नदियों में बह जाने के कारण वर्षा जल संचयन नहीं हो पाता। आंकड़ों के अनुसार इलाहाबाद में हर साल भूमिगत जलस्तर 62 सेंटीमीटर नीचे खिसक रहा है। ऐसा वॉटर रिचार्ज की प्रापर व्यवस्था न होने से है।
खुदी पड़ी सड़कों व पटरियों के ऐसे होंगे फायदे चौड़ीकरण व सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदी गई ज्यादातर सड़कें कच्ची हैं कहीं गिट्टी तो कहीं मिट्टी डाल कर रोड छोड़ दी गई है। पटरियों का भी यही हाल है।बारिश से पहले इसे बनाया नहीं गया तो पानी नालियों में बहने के स्थान पर रिजार्च होगा
चौड़ी होने वाली सड़कों के किनारे नाला-नाली को पाट दिया गया है यानी बारिश का पानी बेकार जाने की संभावना नहीं है इस बार 99 फीसदी बारिश की संभावना जतायी गयी है पूरी बारिश हुई तो शहरी एरिया में अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्ज बढ़ जाएगा भूगर्भ जलस्तर में सुधार के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है। पूरे शहर में जगह-जगह सड़कों और पटरियों के खुदे होने से वाटर रिचार्जिग में मदद मिल सकती है। बरसात का जो पानी बह जाता था, वो इस बार भूमि के नीचे आसानी से पहुंच जाएगा। -प्रो। एआर सिद्दीकी भूगोल विभाग, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भू-गर्भजल दोहन के लिए संसाधन लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन जमीन के अंदर पानी डालने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा। सड़क व मकान के रूप में जमीन का बहुत सा हिस्सा पक्का हो गया है। इससे बारिश का पानी नाली और नालों के माध्यम से बह जाता है और धरती की प्यास नहीं बुझ पाती। -मनोज श्रीवास्तव संरक्षक, ग्लोबल ग्रीन