पुलिस का लगातार मूवमेंट का भी पत्थरबाजों के हौसले पर नहीं पड़ा असरशुक्र था! पूरा घटनाक्रम अटाला और उसके आसपास के एरिया में ही सिमटकर रह गया. कुछ और एरिया में इस तरह का बवाल होता तो परिस्थितियां क्या होतीं? यह सोचना भी मुश्किल है. जिस तरह से घटना की शुरुआत हुई और इसे स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ाया गया वह यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पूरी तैयारी पहले से करके रखी गयी थी. पुलिस को अंदेशा था इसलिए इस एरिया में मूवमेंट भी बढ़ाया गया था. इसका भी कोई असर पत्थरबाजों पर नहीं था. फुल प्रूफ योजना के साथ हुई घटना ने पुलिस के मुखबिर तंत्र और बीट पर पकड़ की पोल खोलकर रख दी है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। अटाला एरिया में मेन सड़क बहुत चौड़ी है। इससे लगने वाली तमाम गलियां हैं। इन गलियों में बड़ी आबादी निवास करती है। घनी बस्ती की सड़कों पर नार्मल डेज में पैदल चलने की भी स्थिति नहीं रहती। ये गलियां घटनाक्रम शुरू होने से पहले सूनी थीं। मेन सड़क पर भी पब्लिक कम और पुलिस के जवान ज्यादा नजर आ रहे थे। इस एरिया में कई मस्जिदें हैं। दोपहर में जुमे की नमाज शुरू हुई और शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त भी हो गयी। जुमे की नमाज के बाद लोग मस्जिद से निकले और अपने-अपने घर या बिजनेस प्लेस की तरफ मूव कर गये। सब कुछ इतना सामान्य था कि कोई कल्पना ही नहीं की जा सकती थी कि कुछ ऐसा पक रहा है जो चंद घंटे बाद माहौल बदल देने वाला है।

Posted By: Inextlive