अंधेरे को पहचानने में मददगार है निराला की कविताएं
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की 57वीं पुण्य तिथि पर साहित्यकारों ने व्यक्त की अपनी भावनाएं
ALLAHABAD: हिन्दी साहित्य में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविताएं हमेशा ही लोगों को प्रेरणा देती है। निराला की 57वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को सेंट जोसफ कालेज के सभागार में छायावाद और निराला के पुनर्विचार विषय निराला के निमित्त की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में अपना व्याख्यान देते हुए प्रसिद्ध आलोचक प्रो। विजय बहादुर सिंह ने छायावाद की प्रासंगिकता पर कई प्रश्नों के साथ विचार करने का प्रस्ताव रखा। दो सूत्र से समझें निराला की कविताएंनिराला की कविताओं पर विचार रखते हुए मुख्य वक्ता प्रो। विजय बहादुर ने बताया कि निराला की कविता को समझने के दो सूत्र हैं। उन्हें अपने समय के राजनैतिक व सांस्कृतिक अंधेरों की सूक्ष्म समझ थी। उनकी पूरी कविता इस गहन अंधेरे के प्रतिरोध और एक नई सुबह की उम्मीद से भरी रहती थी। गोष्ठी का आधार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ आलोचक प्रो। राजेन्द्र कुमार ने कहा कि छायावाद केवल औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध ही नहीं है, बल्कि हमारे समाज की गतिहीन रूढि़यों के खिलाफ भी है। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत निराला जी के चित्र पर प्रो विजय बहादुर सिंह, प्रो राजेंद्र कुमार, हरीश चंद्र पाण्डे, प्रियदर्शन मालवीय और डॉ सरोज सिंह द्वारा माल्यार्पण से हुआ। अतिथियों का स्वागत सेंट जोसफ कॉलेज के हिंदी अध्यापक डॉ मनोज सिंह ने किया। चिंतन निराला एवं विमर्श निराला ने पुष्पगुच्छ के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सूर्य नारायण और धन्यवाद ज्ञापन विवेक निराला ने किया।