नृत्य कला के साथ जायके का लुत्फ
प्रयागराज (ब्यूरो)। परिवार के साथ शिल्प मेले में आए लोगों की शुरुआत दिल्ली के चाट की दुकान, राजस्थानी रबड़ी और बीकानेरी जलेबी के साथ होती है। अंत में उन्होंने उड़ीसा से चूरन की दुकान लगाए श्री गणेश चूरन से अलग-अलग चूरनों का जमकर आनंद लिया। यहां लगभग हर राज्य के स्टाल लगे हैं। संगमनगरी के लोग खाने के शौकीन हैैं और मजेदार भी। यह कहना था महिंदर सिंह का। जो राजस्थान से प्रयागराज में अपने राजस्थानी जायके का स्टॉल लगाकर लोगों को रबड़ी,जलेबी और कचौरी खिला रहे थे। महिंदर ने बताया कि रबड़ी-जलेबी लोग ज्यादा पंसद कर रहे हैं। इनके स्टाल पर पांच लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि इन्हीं टीम का एक शख्स साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रहा था।
रबड़ी के पास ही दिल्ली के चाट का स्टॉल था जहां लोग आलू-टिकिया का मजा ले रहे थे। बिहार का प्रसिद्ध खाद्य बट्टïी चोखा और कुल्हड़ की चाय के साथ लखनऊ की वाहिद बिरयानी की दुकान पर भी लोगों का जमावड़ा था।उड़ीसा के मानस ने चखाया चूरन
मानस पारीख जो कि उड़ीसा के रहने वाले हैैं, उन्होंने मेला में श्री गणेश चूरन स्टॉल लगाया है। बताया कि जब भी मेला लगता है वह अपना स्टाल जरूर लगाते हैं। अलग-अलग तरीके से चूरन बनाकर लोगों को उनके फायदे बता रहे हैं। मानस ने बताया कि उनके पास धनिया से लेकर अनार तक 106 चूरन के प्रकार हैैं जिसका लोग अपने मूड से लुत्फ उठा रहे हैैं।