इको फ्रेंडली दुर्गाजी की मूर्तियों को बनाने में जुटे कारीगरआस्था के साथ पर्यावरण का भी रख रहे ख्यालगंगा जी और काली मिट्टी का भी होता है इस्तेमाल


प्रयागराज ब्यूरो । दुर्गा पूजा के अवसर पर पंडालों मे सजने वाली मूर्तियों को कारीगरों ने तैयार करना शुरू कर दिया है। प्रदूषण को देखते हुए इस बार मार्केट मे इकोफ्रेंडली मूर्तियां तैयार की जा रही है। जो की पर्यावरण के लिए किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है। अलग अलग साइज और अलग अलग रेट की मूर्तियां मार्केट मे तैयार हो रही है। जो कि आने वाली नवरात्रि पर पंडालों मे स्थापित की जाएंगी।इस तरह तैयार होती है मूर्तियां
मूर्तियों को बनाने के लिए काली मिट्टी और गंगा जी की मिट्टी का उपयोग मे लाई जाती है। इसके साथ भूसा, पियरा, बांस, लकड़ी एवं किलों का इस्तेमाल किया जाता है। मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए इसको इकोफ्रेंडली पेंट से पेंट किया जाता है। इस पेंट को अरारोट और इमली के बीज से बने पाउडर के मिश्रण से तैयार किया जाता है। जिस वजह से इस पेंट को इकोफ्रेंडली पेंट कहा जाता है। इस पेंट मे किसी तरह का कोई केमिकल नहीें मिला होता है। जिस वजह से यह मूर्तियां पानी मे जल्दी से घुल जाती है और पर्यावरण भी इससे प्रभावित नहीं होता। पहले मूर्ति का स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है। फिर उसके बाद उसको मिट्टी का लेपन किया जाता है। उसको सूखने के लिए रख दिया जाता है। जब यह मूर्ति पूरी तरीके से सूख जाती है,तब इसके ऊपर कलाकृति बनाई जाती है। जब ये कलाकृति सूख जाती है तब जाकर के मूर्ती पूरी तरह से तैयार हो जाती है।फाइबर की मूर्ति से है दाम कममार्केट मे फाइबर की मूर्तियां भी कारीगरों के द्वारा तैयार की जा रही है। जो की मिट्टी की मूर्तियों से अधिक दाम मे बिकती है। मूर्ति कारीगर सोमनाथ तपसपाल ने बताया की जहां मिट्टी की मूर्तियों को बनने मे पंद्रह दिन का समय लगता है,वही फाइबर की मूर्तियां एक दिन मे बन जाती है। मगर इसको पूर्ण रूप से तैयार होने मे लगभग दो महीने का समय लगता है। जहां पर लकड़ी की पांच फिट की मूर्ति बनाने का खर्च पांच हजार रूपए लगता है। वहीं पर फाइबर की पांच फिट की मूर्ति बनाने मे लगभग पांच लाख रूपए लग जाता है। चार महीने पहले से आ जाते हैंमूर्ति कारीगर सोमनाथ तपसपाल ने बताया की मूर्ति का ऑडर बहुत ज्यादा आता है। जिस वजह से मूर्ति कारीगर चार महीने पहले कोलकाता से प्रयागराज आ जाते हैं। ताकि भक्तों को समय से मूर्ति मिल जाए और समय से उसे पंडालों मे स्थापित कर सके।


इतनी आती है लागत मूर्ति को बनाने मे इतनी लागत आती है। जिसे कारीगर मूर्ति बनाने मे इस्तेमाल करते है।50 फिट मिट्टी का रेट -3000 रूपएकील - 150 रूपए प्रति किलोसुतली-150 रूपए प्रति किलो चावल का कना - बीस रुपये प्रति किलो

Posted By: Inextlive