साथी की तरफ मुड़ी शक की सुई
प्रयागराज ब्यूरो । स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) हॉस्पिटल के डॉ कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत के केस में नया एंगल आ गया है। कार्तिकेय की बिजनौर में जेल अधीक्षक पद पर तैनात बहन डॉ अदिति श्रीवास्तव ने कोतवाली थाने में नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। नामजद किये गये लोगों में जूनियर डॉक्टर शिवम गुप्ता, आर्थो विभाग के एसोसिएट प्रो। डॉ। सचिन यादव व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ। अनामिका का नाम शामिल है। पुलिस ने प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। अभी पुलिस की तरफ से इस पर कोई ऑफिशियल अपडेट मीडिया से शेयर नहीं किया गया है।
प्रताडऩा की शिकायत
पुलिस को दी गई तहरीर में अदिति ने बताया है कि उनका भाई कार्तिकेय मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमएस सेकंड इयर का छात्र था। तहरीर के अनुसार जेआर-1 के समय से ही उसे सीनियर डॉ। शिवम गुप्ता शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त कर रहा था। इसकी शिकायत कार्तिकेय ने ही की थी लेकिन एसोसिएट प्रो। सचिन यादव ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे उनके जरिए उससे ही नाराजगी जताई गई। आरोप है कि इसके बाद शिवम व सचिन उसके भाई को और भी परेशान करने लगे। वे जानते थे कि कार्तिकेय को पैर में डीवीटी की समस्या है। बावजूद इसके उससे 36 से 40 घंटे खड़े करके ड्यूटी करवाई जाती थी। परेशान कार्तिकेय के समस्या बताने पर सुनने के बजाय उसे बेइज्जत करके बाहर निकाल देते थे। इससे वह काफी परेशान रहा करता था।
फ्रेंड थी अनामिका
तहरीर के अनुसार जेआर-2 (नेत्र रोग विशेषज्ञ) अनामिका साल भर पूर्व तक कार्तिकेय की फ्रेंड थी। अचानक उसने बातें करना बंद कर दी। कार्तिकेय जब कारण पूछता तो अपमानित करते हुए जवाब दिया कि वह किसी और के साथ है। तब उससे कार्तिकेय ने बात नहीं की। वह लड़की खुद फान कभी-कभार किया करती थी। तहरीर में बहन ने कहा है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अनामिका के वर्तमान ब्वायफ्रेंड के जरिए उसके भाई रास्ते से हटाने के लिए कोई कदम उठाया गया हो। उसने कहा कि हमें शक है कि शिव गुप्ता, सचिन यादव तथा अनामिका ने हमारे भाई की हत्या की है। इसी के साथ दी गई तहरीर पर दर्ज मुकदमें कई अन्य बातों का भी जिक्र किया गया है। जिसमें उन्होंने पूरी बातें विस्तृत तरीके से बताई है। केस दर्ज करने के बाद अब पुलिस आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य की तलाश में जुट गई है। सोमवार को हॉस्पिटल के कई डॉक्टरों से पूछताछ की गई। हालांकि इस पूछताछ में पुलिस के हाथ बहुत ठोस साक्ष्य नहीं खबर लिखे जाने तक नहीं लग सके थे।
अभिषेक भारती, डीसीपी सिटी