150 करोड़ के ठग राजेश मौर्या की बातों में जादू था. वह बोलने लगता था तो फिर लोग उसे सुनने लगते थे. देखते ही देखते लोग उसकी बातों में आकर पैसे जमा कर देते थे


प्रयागराज ब्यूरो । 150 करोड़ के ठग राजेश मौर्या की बातों में जादू था। वह बोलने लगता था तो फिर लोग उसे सुनने लगते थे। देखते ही देखते लोग उसकी बातों में आकर पैसे जमा कर देते थे। ठग राजेश मौर्या ने अपनी बातों के जादू से करीब पचास करोड़ रुपये झूंसी एरिया से कमाए। 2016 की शुरुआत में राजेश मौर्या भाग निकला तो उसकी स्कीम में इनवेस्ट करने वाले लोग एजेंटों को घेरने लगे। मगर उस तक पहुंचने की कवायद बहुत कम लोगों ने की। जिसका नतीजा रहा कि झूंसी एरिया से पचास करोड़ समेटने के बाद भी उसके खिलाफ केवल एक केस झूंसी में दर्ज हो सका।

2013 में पहुंचा झूंसी मानसरोवर के पास राजेश मौर्या ने आरकेएम शिक्षण संस्थान का आफिस बनाया। उसने इसके बाद यमुनापार के घूरपुर एरिया में अपना जाल फैलाया। 2013 में राजेश मौर्या झूंसी के नीबी कला गांव पहुंचा। गांव के लोगों को इक_ा करके उसने अपनी स्कीम बताई। स्कीम में बताया कि जो भी तीस हजार रुपया लगाएगा उसे दस हजार रुपया हर महीने दिया जाएगा। स्कीम लेने वाले को 11 महीने तक दस हजार रुपया मिलेगा। राजेश मौर्या की बातों का असर रहा कि एक एक करके तमाम लोग उसकी स्कीम में पैसा लगाने लगे. 2015 में शुरू की गड़बड़ी बेहद शातिर ठग राजेश मौर्या अपनी स्कीम के मुताबिक खरा उतरा तो लोगों का उस पर विश्वास बढ़ गया। जिसका नतीजा हुआ कि लोगों ने भारी रकम स्कीम में इनवेस्ट करना शुरू कर दिया। 2015 के आखिर में राजेश मौर्या ने गड़बड़ी करना शुरू कर दिया। हर महीने के बजाए वह दो या तीन महीने में तय रकम वापस करता। अपने पास आने वाले कई लोगों को वह रकम वापस कर देता तो कुछ लोगों को बातों में उलझा कर लौटा देता। ऐसा करके राजेश विवाद की स्थिति नहीं उत्पन्न देता था। डेढ़ साल तक बात पर उतरा खरा 2013 में अपनी स्कीम लेकर नीबी कला गांव पहुंचे राजेश मौर्या ने पड़ोस के गांव भदकार में भी अपनी पैठ बना ली। करीब डेढ़ साल तक वह हर महीने स्कीम के अनुसार लोगों को उनकी रकम वापस करता रहा। तीस हजार जमा करने के बाद जब चार पांच महीने में लोगों को दस हजार के हिसाब से ज्यादा रकम वापस हो गई तो लोगों ने लालच में आकर तीस हजार से बढ़कर लाख, दो लाख, तीन लाख रुपया लगाना शुरू कर दिया। इस दौरान भी राजेश पैसा वापस करता रहा। जिससे लोगों का उस पर विश्वास जम गया। एक हजार की लालच मेें फंस गए सैकड़ों राजेश मौर्या एजेंटों को एक हजार रुपये कमीशन हर दस हजार रुपये पर देता था। जिसका नतीजा हुआ कि तमाम लोग खुद एजेंट बन गए और अपने परिवार वालों के नाम पर इनवेस्टमेंट कर दिया। 2015 जून के बाद राजेश ने इनवेस्ट करने वालों के साथ गड़बड़ी शुरू कर दी, मगर एजेंटों को उनका भुगतान करता रहा। ऐसे में जब लोगों की रकम रुकना शुरू हुई तब तक नवंबर का महीना आ चुका था। जून से नवंबर के बीच चूंकि एजेंटों को उनका तय कमीशन मिल जाता था इसलिए एजेंट ही इनवेस्ट करने वालों को समझा बुझाकर शांत कर देते थे। मगर एजेंटों को क्या मालूम था कि खेल शुरू हो चुका है और राजेश मौर्या भागने वाला है. झूंसी थाने में दर्ज हुआ केस भदकार गांव के धर्मवीर निषाद की पत्नी रानी ने राजेश मौर्या की स्कीम में तीन लाख रुपये इनवेस्ट किया था। जनवरी 2016 में जब राजेश मौर्या ने अपना धंधा समेट लिया और भाग निकला तो कई महीने तक लोग उसे तलाशते रहे, मगर जब वह मार्च तक नहीं मिला तो धर्मवीर निषाद ने राजेश के खिलाफ झूंसी थाने में शिकायत की। मगर केस नहीं दर्ज किया गया। बहुत भाग दौड़ करने के बाद धर्मवीर की तहरीर पर झंूसी थाने में 30 मई 2016 को केस दर्ज किया गया। Posted By: Inextlive