हद है! रोडवेज के गेट पर भी ई-रिक्शा का कब्जा
प्रयागराज (ब्यूरो)।जिले में ई-रिक्शा की संख्या सैकड़ों में नहीं हजारों में हैं। करीब 12 हजार ई-रिक्शा का आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत है। इसमें तीन से चार हजार के आसपास ई-रिक्शा की संख्या केवल शहर में बताई जा रही है। बताते हैं कि सिटी में रोज जितनी संख्या है उसके आधे रिक्शा का संचालन तो होता ही है। मतलब यह कि डेढ़ दो हजार ई-रिक्शा प्रति दिन शहर में चल रहे हैं। इतनी अधिक संख्या में चलने से ही शायद रोड पर ई-रिक्शा पब्लिक के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। यदि केवल सिविल लाइंस की बात करें तो हर चौराहे पर दर्जनों की संख्या में खड़े ई-रिक्शा आराम से देखे जा सकते हैं। चौराहों पर आधी से ज्यादा सड़कों पर इनका कब्जा होता है। इतना ही नहीं चालक चौराहें के मोड़ पर ई-रिक्शा खड़ा करके सवारियों का इंतजार करते रहते हैं। ऐसे में रोड से आने वाले दूसरे वाहनों को मुडऩे तक में दिक्कतें हो रही हैं। चालक बसों के रुकते ही अंदर तक से सवारियों को बैठाने के लिए खींचने लगते हैं। सड़कों पर इनके खड़े होने से आम पब्लिक को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करते हैं मनमानी
बस चालक कहते हैं कि इनकी वजह से वह हादसे की आंशका से ग्रसित रहते हैं। गेट पर एक तो पब्लिक की भीड़ रहती है। ऊपर से यह ई-रिक्शा खड़े रहते हैं। यदि तनिक चूक हो जाय तो हादसे हो सकते हैं। रोडवेज बस चालकों की माने तो गेट से इन्हें हटने के लिए कहने पर वे झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। फिर दर्जनों की संख्या में इनके चालक एक जुट होकर विवाद करने लगते हैं। अब तो बस चालक भी इन्हें कुछ बोलने से डरते हैं। पुलिस इन्हें कुछ कहती नहीं। रोडवेज के अधिकारी भी गेट पर इनकी भीड़ हटाने के बजाय खामोश रहते हैं। यही सारे कारण हैं कि ई-रिक्शा चालकों के हौसले बुलंद हैं। वह जहां चाहते हैं वहीं दर्जनों की संख्या में ई-रिक्शा खड़ा करके स्टैंड बना लेते हैं।
शुक्र है कि बच जाती है जानएक तो इतनी बड़ी संख्या में ई-रिक्शा यहां मुसीबत बने हैं। ऊपर से तिपहिया वाहनों का बेतरतीब संचालन भी पब्लिक के लिए परेशानी बन गई है। लोग बाग कहते हैं कि सिविल लाइंस में तिपहिया वाहन और ई-रिक्शा का पूरी तरह कब्जा है। इनकी वजह से सिविल लाइंस में चलने वाले कार व बाइक सवार हमेशा हादसे की आशंका से ग्रसित रहते हैं।
इस आशंका के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कहते हैं कि यह ई-रिक्शा और तिपहिया वाहन चालक वाहनों को कब किधर मोड़ दें इसका कोई भरोसा नहीं रहता। सवारी देखने के बाद यह तेज गति में बगैर सोचे समझे चली जा रही कार व बाइक के सामने पहुंच पहुंच जाते हैं। यदि बाइक या कार के चालक न संभले तो एक्सीडेंट का होना तय है। अक्सर इनके बीच सिविल लाइंस में टक्कर की बातें आम हो गई है।यह बात दीगर है कि कोई हताहत नहीं होता, ऐसी स्थिति में भी अगर कोई इन्हें कुछ कह देता है तो भी ये झगड़े पर उतर आते हैं।