पारंपरिक रूप से दिए गए ज्ञान और संस्कार को कहते हैं शिक्षा
प्रयागराज (ब्यूरो)। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर मंथन के लिए शनिवार को ज्वाला देवी इंटर कॉलेज सिविल लाइंस में विद्वत्त परिषद गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने अतिथियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में विश्व हिन्दू परिषद काशी प्रान्त के अध्यक्ष कवीन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष विद्या भारती काशी प्रदेश के उपाध्यक्ष डॉ रघुराज प्रताप सिंह और विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पीआरओ वीसी डॉ जया कपूर तथा ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डा आनन्द शंकर सिंह ने विचार रखे। प्रधानाचार्य ने अपने सम्बोधन में कहा कि पारंपरिक रूप से एक व्यक्ति को दिए गए ज्ञान और संस्कारों को ही शिक्षा कहा जाता है। इसके अलावा, यह अगली पीढ़ी को शिक्षा को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया भी है।
दर्शन भी होता है प्रभावित
मुख्य अतिथि ने कहा कि चिन्तन-मनन मानव जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है। काल चक्र की गति के अनुरूप मनुष्य के विचार की विषयवस्तु में परिवर्तन होने के कारण दर्शन भी प्रभावित होता रहा है। इसके अलावा आये हुये अन्य विद्वत्तजनों ने भी वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर अपने-2 विचारों को व्यक्त किया। कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता एवं विद्वत्त गोष्ठी के संयोजक तेज प्रताप सिंह ने आये हुये समस्त विद्वत्तजनों का आभार ज्ञापन किया।