लालच बुरी बला है. बुजुर्गों द्वारा कही गई यह कहावत आज भी चरितार्थ है. सस्ते के फेर में जिले के कई लोग चोरी के मोबाइल व बाइक को खरीद लिए. परिणाम यह हुआ कि छानबीन कर रही पुलिस उन खरीदारों तक जा पहुंची. चोरी का सामान खरीदने के आरोप में उन खरीदारों को भी जेल जाना पड़ा. उनकी गलती इतनी थी कि वह जानकारी के अभाव में चोरी का सामान औने-पौने रेट पर खरीद लिए. खरीदा गया सामान चोरी का है यह बात उन्हें तब मालूम चली जब पुलिस दरवाजे तक जा पहुंची.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर से गांव तक चोरों व छिनैती करने वालों का गैंग एक्टिव है। इनके जरिए छीने व चुराए गए बाइक एवं मोबाइल को ग्रामीण इलाकों में सस्ते रेट में बचा गया। गांव के कई भोले-भाले लोग सस्ते के चक्कर में उनसे मोबाइल और बाइक खरीद लिए। इतना ही नहीं बाकायदे उस मोबाइल में अपना सिम कार्ड लगाकर बातें भी करने लगे। यही हाल बाइक खरीदने वालों का भी रहा। सस्ते में बाइक खरीदकर या गहन रखकर लोग उससे चलने लगे। जिनके साथ घटनाएं हुई थीं उनके जरिए थाने में रिपोर्टें दर्ज कराई गईं। दर्ज मुकदमें की पुलिस द्वारा छानबीन शुरू की गई। लोकेश और मुखबिरों की सूचना के आधार पर पुलिस चोरी के सामानों को यूज कर रहे लोगों तक जा पहुंची। सस्ते में इन सामानों की खरीदारी करके प्रयोग कर रहे कई लोग गिरफ्तार किए गए। पूछताछ में उनके जरिए पुलिस को बताया गया कि वह मोबाइल या बाइक किसी दूसरे से सस्ते के चक्कर में खरीदे थे। सामान चोरी या छिनैती के हैं यह बात उन खरीदारों को मालूम नहीं था।
बिना पड़ताल के खरीदना पड़ा महंगा
बगैर पड़ताल किए या रसीद और कागज देखे इन सामानों की खरीदारी करना ऐसे लोगों को महंगा पड़ा। माल बरामद होने के बाद पुलिस द्वारा ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया। सस्ते की लालच में महंगे मोबाइल व बाइक की खरीदारी करने की लापरवाही उन लोगों को महंगी। पुलिस ने उन्हें चोरी का सामान खरीदने के आरोप में जेल भेजा।
केस-1 जीआरपी द्वारा जनवरी में मार्च में दो
लोगों को जेल भेजा गया था। दोनों मध्य प्रदेश स्थित रीवां के निवासी थे। एक का नाम शैलेश कुमार तो दूसरे का नाम सुरेश गौतम था। दोनों यहां शहर में नाश्ते का ठेला लगाया करते थे। ठेले पर आने वाले किसी ग्राहक से वह बगैर जांचे परखे सस्ते के चक्कर में तीन मोबाइल अलग-अलग दिनों में खरीदे थे। जिसका वह मोबाइल था उसका नाम सुनीता रघुवंशी निवासी कानपुर व विद्या शरण मिश्र निवासी करछना का था। दोनों के साथ मोबाइल चोरी की घटना टे्रन में हुई थी।

केस-2 शंकरगढ़ पुलिस द्वारा चोरी का मोबाइल खरीदने के मामले में एक व्यक्ति को जुलाई में जेल भेजा गया था। वह किसी अनजान व्यक्ति से दो हजार रुपये में करीब 16 हजार का मोबाइल खरीद लिया था। उस मोबाइल के चोरी होने की शिकायत पहले से ही थाने पर थी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही थी। सर्विलांस के जरिए लोकेशन ट्रेस होते हुए उसे पकड़ा गया था। तब वह पुलिस को बताया था कि मोबाइल को वह एक चाय की दुकान पर खरीदा था।

केस-3 चोरी हुई बाइक को खरीदने में सूर्य प्रकाश पटेल को नैनी पुलिस द्वारा अक्टूबर महीने के शुरुआत में जेल भेजा गया था। पकड़े जाने के बाद वह बताया था कि बाइक को वह किसी से पांच हजार रुपये में खरीदा था। बेचने वाले शख्स ने इलाज के लिए पैसों की जरूरत होने की मजबूरी उसे बताई गई थी। हालांकि बाद में उसके द्वारा बताए गए शातिर चोर को भी पुलिस ने पकड़ कर जेल भेज दिया था। चोर का नाम घूरपुर निवासी संदीप कुमार बताया गया था।

इस तरह से पहचानें चोरी का सामान
यदि कोई व्यक्ति आप को मजबूरी बताते हुए सस्ते में मोबाइल या बाइक बेच रहा तो सावधान हो जाइए। बाइक है तो उसका रजिस्ट्रेशन कागज और मोबाइल है तो उसकी पक्की रसीद जरूर देखें।
यदि व्यक्ति को नहीं पहचानते तो मोबाइल की रसीद पर दुकानदार की मुहर और जीएसटी नंबर एवं रसीद पर अंकित नाम विक्रेता के नाम से जरूर मिलान करें
यदि इनमें से कहीं भी शक हो तो उस मोबाइल या बाइक को कतई नहीं खरीदें, क्योंकि सस्ते के लालच में आप को भी जेल जाना पड़ सकता है।

मोबाइल व बाइक चोरी की कई ऐसी घटनाओं का खुलासा हुआ है। जिसमें बगैर जांचे परखे लोग सस्ते के चक्कर में उक्त सामान खरीद लिए थे। चूंकि सामान उनके पास से बरामद हुआ था, इसलिए उन्हें भी जेल भेजना पुलिस की मजबूरी थी। यदि लोग ऐसे सामानों की खरीदारी करने से पहले अच्छी तरह छानबीन कर लें तो जेल जाने जैसी नौबत नहीं आएगी।
सतीशचंद्र, एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive