दिल में उतर जाने वाली 'क्लिक' बड़ा चैलेंज
प्रयागराज (ब्यूरो)। यह समय फोटोग्राफी की दुनिया में तकनीक के उफान का समय है। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रिएलिटी और ऑगमेंटेड रिएलिटी जैसी तकनीक नित नई-नई चुनौतियां पैदा कर रही है। ऐसे में प्रत्येक छायाकार को अपनी सृजनात्मकता को बढ़ाना होगा और मानवीय संवेदनाओं को साथ बनाए रखना होगा। यह बात इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेन्टर ऑफ मीडिया स्टडीज के कोआर्डिनेटर डा धनंजय चोपड़ा ने कही। डा चोपड़ा विश्व फोटोग्राफी दिवस पर सेन्टर पर आयोजित कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। डा। चोपड़ा ने कहा कि आज सभी के पास मोबाइल कैमरा है और हर कोई अपने समय को दर्ज कर रहा है। ऐसे में प्रोफेशनल फोटोग्राफर के पास यह चुनौती है कि वह कैसे ऐसी फोटो क्लिक करें कि, जो लोगों के दिल-दिमाग में 'क्लिकÓ कर जाए। उन्होंने ऐसी फोटोग्राफ्स की भी चर्चा की, जिन्होंने दुनिया को बदलने में अहम भूमिका निभाई है।
विजुअल्स के बिना हर बार अधूरी
वरिष्ठ छायाकार और फोटोग्राफी अध्यापक एसके यादव ने एक फोटो पत्रकार के समक्ष आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज 'विजुअल्स' के बिना कोई भी बात अधूरी ही रहती है और लोगों को उद्वेलित या प्रेरित नहीं कर पाती है। उन्होंने कहा कि डार्करूम से चलकर कम्प्यूटर के स्क्रीन तक फोटो के सृजन की प्रक्रिया में निरन्तर बदलाव होते रहे हैं, आर्टीफीशियल इन्टेलिजेन्स को भी इसी बदलाव के क्रम में देखते हुए इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि नई तकनीक का सहयोग लेकर हम फोटोग्राफी की दुनिया में बहुत कुछ नया कर सकते हैं। समारोह में एमवोक मीडिया स्टडीज के छात्र देवेन्द्र कुमार यादव तथा प्रिथुराज मिश्रा ने विश्व फोटोग्राफी दिवस पर अपना शोध आलेख प्रस्तुत किया।इस अवसर पर 50 विद्यार्थियों द्वारा प्रेषित 180 छायाचित्रों का स्लाइड शो किया गया। विद्यार्थियों के इन छायाचित्रों में समय, समाज और संस्कृति का वैविध्य बखूबी दिखाई दिया। आभार ज्ञापन विद्यासागर मिश्र ने किया। इस अवसर पर अध्यापकगण सचिन मेहरोत्रा, प्रियंका मिश्रा, ऋतु माथुर, रेखा खरे, जितेन्द्र सिंह यादव सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।