हॉस्पिटल की चौखट पर बच्ची ने तोड़ा दम
परिजनों ने हॉस्पिटल पर लगाया इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप
बिना टांका लगाए बच्ची को ओटी से बाहर किया, सीएमओ आफिस में दर्ज कराई शिकायतउन्होंने आपरेशन से पहले जितना पैसा मांगा था वह हमने दे दिया। फिर भी उसके पेट में टांका लगाए बिना आपरेशन थिएटर से बाहर कर दिया। कहां, इसे ले जाओ हमारे बस के बाहर है। अधमरी हालत में उसे लेकर हम लोग एसआरएन हॉस्पिटल गए लेकिन मरीज की हालत देखकर वहां भी उसे भर्ती नही किया गया। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती करके इलाज किया गया पर फायदा नही हुआ। शुक्रवार को हम लोग फिर से रावतपुर के यूनाइटेड मेडिसिटी हॉस्पिटल गए तो बच्ची को भर्ती करने से इंकार कर दिया। ऐसे में हमारी बेटी ने हॉस्पिटल के बाहर ही दम तोड़ दिया। यह कहना है करेली थाने के करेंहदा गांव की तीन साल की खुशी के परिजनों का। इस बच्ची ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। इस परिजनों ने यूनाइटेड मेडिसिटी के डॉक्टर्स पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि डॉक्टर्स की अनदेखी से उनकी बेटी की जान चली गई।
क्या है मामलाकरेंहदा गांव के रहने वाले मुकेश कुमार का एक बेटा और दो बेटी है। दूसरे नंबर की बेटी खुशी मिश्रा को पेट में दर्द की शिकायत के चलते 15 फरवरी को रावतपुर के यूनाइटेड मेडिसिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहां पर आठ दिन दवा चलने के बाद मरीज को आराम नही मिला तो 23 फरवरी को उसके पेट का आपरेशन किया गया। लेकिन उसके पेट से पस आना बंद नही हो रहा था। तीन मार्च को पुन: खुशी को डॉक्टर ओटी में ले गए और थोड़ी देर बाहर ले आए। परिजनों का कहना है कि मरीज का पेट पूरी तरह खुला था और आंत बाहर निकली थी। ऐसी हालत में डॉक्टर्स ने कहा कि इसे एसआरएन हॉस्पिटल लेकर जाओ। इसका इलाज हमारे पास नही है। हमने काफी मिन्नत की लेकिन डॉक्टर टस से मस नही हुए। मजबूरी में हम लोग तीन साल की बच्ची को लेकर एसआरएन हॉस्पिटल गए लेकिन केस इतना खराब हो चुका था उन्होंने उसे चिल्ड्रेन हॉस्पिटल रेफर कर दिया। यहां पर भी उसका इलाज नही हो सका और हालत काफी बिगड़ चुकी थी। शुक्रवार को हम लोग फिर से यूनाइटेड मेडिसिटी गए। लेकिन यहां मरीज को भर्ती नही किया गया। चौखट पर ही मरीज की जान चली गई। हम बहुत रोए गिड़गिड़ाए लेकिन सुनवाई नही हुई। मुकेश का कहना है कि हमारी बेटी के साथ ऐसा क्यों किया यह हमें भी समझ नही आया।
1.80 लाख हो चुका था खर्च खुशी के पिता का कहना है कि हमने बच्ची के इलाज में 1.80 लाख रुपए खर्च कर दिया था। जितना पैसा मांगा गया था उतना दिया गया लेकिन फिर उसे बचाया नही जा सका। परिजनों की ओर से प्रयाग लीगल एंड क्लीनिक व स्वदेश संस्था सचिव ने सीएमओ कार्यालय में यूनाइटेड मेडिसिटी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि इस अमानवीय कृत्य के लिए हॉस्पिटल का लाइसेंस कैंसिल कर दोषियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया जाना चाहिए। परिजनों का कहना है कि मामले की लिखित शिकायत संबंधित पुलिस चौकी में भी दर्ज कराई गई है। हमारी ओर से बच्ची का इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया। हमने परिजनों से कोई पैसा नही लिया। बच्ची की आंत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। इसकी जानकारी परिजनों को दी गई थी। उनकी सहमति से ही बच्ची को एसआरएन हॉस्पिटल रेफर किया गया था। अब परिजन ऐसा क्यों कर रहे हैं मुझे नहीं पता। डॉ। प्रमोद कुमार सीएमएस, यूनाइटेड मेडिसिटी