भारतीय ज्ञान परंपरा का क्षेत्र अति व्यापक
प्रयागराज (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के सरस्वती परिसर में बुधवार को भारतीय ज्ञान परंपरा पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि सामाजिक कार्यों के प्रोत्साहन के लिए हमें बौद्धिक संपदा का उपयोग करना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा का क्षेत्र अति व्यापक है। इसलिए सकारात्मक दिशा में प्रयास करने से सामाजिक सद्भावना विकसित होगी।
ज्ञानपरक शोध को दें बढ़ावा
उन्होंने कहा कि हमारे महापुरुषों ने देश के विकास के लिए अपना अमूल्य योगदान किया है। हमें प्रयास करना होगा कि ज्ञान की उस विराट राशि से भारतीय समाज आलोकित होता रहे। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रवाह कालांतर में इतना देदीप्यमान रहा कि हम प्राचीनतम योग पद्धति में वैश्विक नेतृत्व की तरफ आगे बढ़े। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमें मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि सामाजिक विसंगतियों को दूर करने के लिए मानव मात्र को प्रेरित करें तथा ज्ञानपरक शोध के माध्यम से कल्याणकारी विकास को प्रोत्साहित कर सकें। हमें प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान को आधुनिकतम रूप में प्रस्तुत करने का भी सतत प्रयास करना होगा। संगोष्ठी की रूपरेखा प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता ने प्रस्तुत की। विषय प्रवर्तन संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने किया। संचालन डॉ साधना श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर ओम जी गुप्ता ने किया। प्रो। पीपी दुबे, प्रो। आशुतोष गुप्ता, प्रो। गिरजा शंकर शुक्ल, प्रो। रुचि बाजपेई एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने विचार व्यक्त किए।