मरीज के लिए नहीं आ सकी डोज
- एसआरएन अस्पताल तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है इंजेक्शन
- 132 का था एलॉटमेंट, मिले 100 इंजेक्शन - इसकी कमी से ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में आ रही दिक्कत प्रयागराज- फंगल इंफेक्शन के भर्ती मरीजों को लगने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी की गवर्नमेंट सप्लाई में ही घालमेल चल रहा है। इसकी वजह से मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। एसआरएन हॉस्पिटल में जितने मरीज भर्ती हैं, उतनी मात्रा में ही इंजेक्शन की डोज नहीं पहुंच पा रही है। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ है। जितने इंजेक्शन का शासन से एलॉटमेंट हुआ था, उतनी डोज भी एसआरएन अस्पताल को नहीं दी गई। 132 इंजेक्शन का हुआ था एलॉटमेंट 1. एसआरएन अस्पताल में इस समय 18 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं। इनमें से प्रत्येक को एक दिन में 5 से 6 इंजेक्शन लगाए जाते हैं।2. यह डोज 15 से 20 दिन तक दी जानी है। ऐसे में हर दिन कम से कम 90 डोज की जरूरत होती है।
3. मंगलवार को एसआरएन अस्पताल को शासन से 132 इंजेक्शन का एलॉटमेंट किया गया था। लेकिन मिले महज 100 इंजेक्शन। 4. सप्लाई के दौरान मेडिकल कारपोरेशन की ओर से 32 डोज को कम कर दिया गया।5. जानकारी के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। अक्सर एलॉटमेंट के मुताबिक इंजेक्शन उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
6 दिन नही मिले थे इंजेक्शन एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इससे पहले लगातार छह दिन तक शासन से इंजेक्शन की एक भी डोज उपलब्ध नहीं कराई गई थी। ऐसे में मरीज खुद से दवाओं का इंतजाम करते रहे। क्योंकि यह इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसकी जगह मरीजों को पिकासा जीआर टेबलेट और पोसाकोनाजोल टेबलेट दिया जाता है। यह टेबलेट बाजार में उपलब्ध है और मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर की इसकी ब्लैक मार्केटिंग की जा रही है। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि इंजेक्शन की सप्लाई हमारे हाथों में नही है। इसका एलॉटमेंट डीजी लेवल पर किया जाता है। बॉक्स किडनी पर भारी पड़ सकती है गलतीबता दें कि एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन अकेले देने से किडनी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में इस इंजेक्शन को लाइपोसोमल काम्बिनेशन के साथ दिया जाता है। इस इंजेक्शन का उत्पादन अभी तक देश में एक कंपनी के द्वारा काफी कम मात्रा में होता था। क्योंकि इसे फंगल इंफेक्शन के इलाज में यूज किया जाता है। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद फंगल इंफेक्शन के मामले बढ़ गए। ऐसे में इंजेक्शन की मांग बढ़ गई। उत्पादन सीमित होने पर इसे सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और केंद्र सरकार अब सभी राज्यों के निश्चित मात्रा में मरीजों के लिए इसे उपलब्ध करा रही है। रोजाना सभी राज्यों का कोटा तक किया जाता है।
बढ़ाया जाए कोटा उधर मरीज के परिजनों का कहना है कि सरकार को प्रयागराज का जरूरत के मुताबिक इंजेक्शन उपलब्ध कराना चाहिए। अगर इंजेक्शन समय से नहीं मिलेगा तो महंगी टेबलेट खरीदनी होगी। सभी के पास इतना पैसा उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में अगर जरा सी चूक हुई तो मरीज की जान जा सकती है। इसलिए मरीजों की संख्या के हिसाब से इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। शासन से हमे 132 का एलॉटमेंट हुआ था और मिले 100 इंजेक्शन। यह सब शासन से तय होता है। रोजाना लखनऊ से इंजेक्शन आता है। इंजेक्शन टाइमली मिल जाए इसके लिए हमे प्रशासन के आला अधिकारियों की भी मदद लेनी होती है। प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज