- कैंपेन से जुड़कर झूंसी तरफ से सिटी साइड आने वाले तमाम लोगों ने जाम का दर्द किया शेयर

प्रयागराज ब्यूरो । शास्त्री पुल पार कर रोजाना सिटी साइड आने वाले हजारों लोगों के लिए जाम एक बड़ा चैलेंज बन चुका है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाए जा रहे 'शहर में मुश्किल सफरÓ कैंपेन से जुड़कर झूंसी तरफ से सिटी साइड आने वाले तमाम लोगों ने जाम का दर्द शेयर किया है। लोगों ने सुबह-शाम लगने वाले जाम की फोटो भेजकर कहानी बताई है। लोगों का कहना है कि लेट ऑफिस पहुंचने व फोर व्हीलर होते हुये भी टू व्हीलर से चलना मजबूरी बताया है। सुबह शास्त्री पुल से आलोपीबाग व शाम को आलोपीबाग से शास्त्री पुल पार करना चैलेंज बन गया है। इसी रूट पर सुबह हो या शाम छह किलोमीटर का सफर करने में करीब एक घंटा लग जाता है। वहीं बाकि समय में आदमी 20 मिनट के अंतराल में तय कर लेता है। आइये आपको बताते है आखिर कहां और क्यों जाम लगता है?

50 मिनट में तय हुआ छह किलोमीटर का सफर
झूंसी तरफ से सिटी साइड बड़ी तादाद में लोगों का आना जाना है। खासतौर पर सुबह और शाम के समय। क्योंकि झूंसी तरफ रहने वाले अधिकतर लोगों का काम हो या फिर जॉब तक सिटी साइड तरफ का होता है। गुरुवार सुबह रिपोर्टर ने इसी रूट का छह किलोमीटर का सफर 50 मिनट में तय किया। सुबह दस बजे करीब कार व बाइक की लंबी कतार लगी मिली। गाडिय़ां दस व पांच की रफ्तार में चल रही थी। वहीं खाली समय में छह किलोमीटर का सफर बीस मिनट के अंतराल में ही पूरा हो गया। सबसे बड़ी बात यह है कि झूंसी तरफ से सिटी साइड आने के लिए मात्र शास्त्री पुल ही एक विकल्प है। इस पुल से होकर ही हजारों गाडिय़ां वाराणसी रूट की तरफ आती व जाती है। जिसके चलते पुल पर लोड बढ़ जाता है। सुबह के समय हाईकोर्ट व जिला कचहरी तरफ आने वाले वकीलों की भी संख्या अधिक है। सिटी साइड ही तमाम कंपनियां है। जहां जॉब करने के लिए लोग सुबह कार व बाइक से निकलते है।

कैंसिल किया कार का प्लान
सिविल लाइंस साइड रिलांयस कंपनी में काम करने वाले स्टोर मैनेजर अखिलेश सिंह बताते है कि झूंसी साइड से पांच दोस्त एक साथ कार से आते व जाते थे। जो पेट्रोल लगता था। आपस में डिवाइड हो जाता था, लेकिन रोजाना सुबह-शाम लगने वाले जाम के चलते अक्सर ऑफिस देर से पहुंचते थे। कई बार रिस्क पर तेज कार चलानी पड़ती थी या फिर अपने निर्धारित समय से एक घंटा पहले ऑफिस के लिए निकलना पड़ता था। जाम में गाड़ी चलाने से मानसिक रूप से डिस्टर्ब हो जाता था। मन चिड़चिड़ा होता जा रहा था। अक्सर ऑफिस लेट पहुंचने पर कार का प्लान कैंसिल किया गया। उसके बाद सभी साथी बाइक से आने-जाने लगे।

लोगों ने भेजें मैसेज व फोटो
आधे घंटे से फंसे हैं जाम में
अरूण कुमार ने एक-दो नहीं बल्कि आठ-दस फोटो भेजकर बताया कि सुबह वक्त किस कदर जाम लगा हुआ है। बताया कि किसी काम से जिला कचहरी के लिए निकला हूं, मगर आधे घंटे से कार पांच किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है।

पेट्रोल अधिक खर्च होने से बिगड़ा बजट
शिवम ने मैसेज करके बताया कि वह सिविल लाइंस साइड एक मॉल में जॉब करत हैं। ऑफिस जाने के लिए घर से दस बजे से पहले ही निकल जाते है। ताकि जाम का फेस कम करना पड़ा। जबकि ऑफिस टाइम 11:30 से शाम आठ बजे तक का है। जाम में गाड़ी चलाने में पेट्रोल भी अधिक लगता है। इससे उनका बजट भी बिगड़ गया।
नाइट शिफ्ट में कर रहे ड्यूटी
नीरज पांडेय बताते हैं वह एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। जाम के चलते उन्होंने सुबह की जगह नाइट शिफ्ट में बदलवानी पड़ी। डयूटी दस बजे से शुरू होती है। वह घर से नौ बजे निकल जाते है। क्योंकि नो एंट्री छूटने के चलते लगने वाला जाम भी झूंसी व नैनी पुल से गुजरने वाले लोगों के लिए सिरदर्द है।

नो एंट्री का सिरदर्द
अनिता सिंह बताती है कि जब भी हम लोग शादी के प्रोग्राम में सिटी साइड जाते है तो अक्सर जाम में फंसने का डर सताता रहता है। क्योंकि लौटते वक्त नो एंट्री छूट चुकी होती है। घंटों समय सिर्फ आलोपीबाग से झूंसी थाना तक पहुंचने में लग जाता है। कई बार तो दस बजे से पहले ही प्रोग्राम अटेंड कर निकल जाते हैं।

Posted By: Inextlive