इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के थानों में महिलाओं की सुविधा पर मांगी है रिपोर्ट...
प्रयागराज (ब्यूरो)।लॉ स्टूडेंट्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गृह विभाग से जवाब मांग लिया है। कोर्ट ने पूछा है कि प्रयागराज जनपद के थानों में महिलाओं के लिए क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं। सुविधाओं को बढ़ाने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई गयी। उसके लिए कितना पैसा रिलीज किया गया? काम कहां तक पहुंच चुका है। कोर्ट ने डिटेल आने पर 17 जुलाई को इस प्रकरण पर फिर से सुनवाई की डेट लगाई है। कोर्ट के फैसले के आधार पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने अपने स्तर पर सुविधाओं की स्थिति जानने की कोशिश शुरू कर दी है। इस कोशिश के तहत रिपोर्टर पहुंचा था सिविल में बने महिला थाने में। पता चला कि कानून व्यवस्था संभालने में कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी दे रहीं महिला पुलिस कर्मियों की सुनने वाला कोई नहीं है। आधी अधूरी सुविधाओं के बीच भीषण गर्मी में पसीने से तरबतर महिला पुलिसकर्मी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी दे रही हैं। सुविधाओं के बारे में पूछने पर थानेदार से नीचे के कर्मचारियों ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया और खुद थानेदार ने भी सिर्फ वही जानकारी शेयर की जो उनके फेवर में थी।
सुविधाओं पर बात ही नहीं होती
सिविल लाइंस स्थित महिला थाने में जिले भर से महिलाएं अपनी समस्या के समाधान के लिए आती हैं। पारिवारिक समस्याओं को लेकर दिन भर यहां पंचायत का माहौल रहता है। यहां पर तैनात महिला पुलिसकर्मी समस्याओं के समाधान को लेकर पीडि़तों का पक्ष सुनती रहती हैं। आपसी सुलह समझौते से बात नहीं बनती है तो फिर केस दर्ज कर दिया जाता है। पारिवारिक मसलों को निबटाने में महिला पुलिस कर्मियों की तत्परता देखते ही बनती है। मगर बात जब इन महिला पुलिस कर्मियों की सुविधा को लेकर आती है तो फिर थाने में असुविधा ही नजर आती है।
थाने में है चार वाशरूम
महिला थाने में चार वाशरूम है। दो वाशरूम कॉमन है।
जिसे बाहर से शिकायत लेकर आने वाली पीडि़त महिलाएं भी इस्तेमाल करती हैं।
थाने की पहली मंजिल पर बनी बैरक में दो वाशरूम है। जिसे महिला सिपाही इस्तेमाल करती हैं।
थाने में बैरक बनी है। मौजूदा समय में यहां 30 महिला सिपाही तैनात हैं।
इसमें से केवल 15 सिपाही ही बैरक में रहती हैं। बाकी किराए पर रहती हैं।
महिला थाने में लगे पंखे अपनी अंतिम सांस गिन रहे हैं।
थाने के कार्यालय में लगा पंखा घूमता रहता है। ऐसे में कार्यालय में बैठने वाली कांस्टेबिल भीषण गर्मी में तरबतर हो जाती हैं। मगर शिकायत करें भी तो किससे।
महिला थाने में महिलाओं की समस्याओं को सुनने के लिए बनाया गया हेल्प डेस्क का कमरा टिन का बना हुआ है। भीषण गर्मी की वजह से टिन का बना हेल्प डेस्क दोपहर होते होते तपने लगता है। इसके अंदर बैठना मुश्किल हो जाता है। 36 साल का हो गया महिला थाना
सिविल लाइंस में महिला थाने को बने 36 साल हो गया। 6 फरवरी 1987 को थाने का उद्घाटन किया गया था। तात्कालीन एसएसपी डीपी सिन्हा और पुलिस अधीक्षक नगर विजय राघव पंत ने महिला थाने का उद्घाटन किया था। सबसे हैरत वाली बात ये है कि महिला थाना भी स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है। महिला थाने में 50 सिपाहियों की नियुक्ति होनी चाहिए। मगर यहां पर केवल 30 महिला सिपाही हैं। वहीं 10 की जगह पांच हेड कांस्टेबिल हैं।
सिपाही ने कहा, सब इंस्पेक्टर साहब बताएंगे
महिला थाने के बगल सिविल लाइंस थाने में महिला पुलिस कर्मियों की सुविधाओं के बारे में जानकारी ली गई तो वहां पर मौजूद सिपाही रामानंद कुशवाहा ने कहा कि सब इंस्पेक्टर साहब बताएंगे। सिपाही रामानंद ने सुविधाओं को लेकर महिला सिपाहियों से बात नहीं करने दी। इस पर जब सिविल लाइंस थाना प्रभारी को उनके सीयूजी नंबर पर फोन किया गया तो उन्होंने बताया कि सिविल लाइंस थाने में 19 महिला सिपाही हैं। उनके वाशरूम अलग हैं।
पूनम शुक्ला
महिला थाना प्रभारी