28फरवरी 2006 को हुआ था उमेश पाल का अपहरण05जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में दर्ज हुआ था केस05लोगों को किया गया था नामजद अतीक भी था शामिल06आरोपितों को विवेचना के दौरान प्रकाश में लाई थी पुलिस11आरोपितों के खिलाफ पुलिस दाखिल की थी चार्जशीट01आरोपित अंसार बाबा की विवेचना काल में हो गई थी मौत54लोगों की गवाही करायी गई थी बचाव यानी अतीक पक्ष से08लोगों की गवाही कराई गई थी वादी पक्ष की ओर से28मार्च को हुई थी अतीक सहित तीन को सश्रम आजीवन कारावास07आरोपितों को कोर्ट ने कर दिया था दोषमुक्त अशरफ भी था शामिल400डेट लगने के बाद पूरी हुई थी मुकदमें की सुनवाई

प्रयागराज ब्यूरो । पूर्व विधायक अशरफ सहित सात हुए थे बरी, अतीक व अशरफ की हो चुकी है हत्या
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: गवाह रहे उमेश पाल अपहरण कांड में बरी हुए सात में बचे अतीक के छह गुर्गों की टेंशन बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। कोर्ट के द्वारा दोष मुक्त किए गए छह अभियुक्तों के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में करने की तैयारी है। अपील के लिए प्रस्ताव की फाइल शासन को डीएम के जरिए भेज दी गई है। शासन को भेजी गई प्रस्ताव की फाइल 767 पेज की है। संलग्नक चार प्रतियों को मिलाकर कुल 3068 पेज का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस प्रस्ताव को शासन से हरी झण्डी मिलने के बाद दोष मुक्त किए गए शेष सभी छह अभियुक्तों के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में की जाएगी।

क्या था पूरा मामला
बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की वर्ष 2005 में दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी थी। इस हत्याकांड में धूमनगंज के सुलेमसराय जयंतीपुर निवासी उमेश पाल चश्मदीद गवाह थे। उनकी गवाही रोकवाने के लिए राजू पाल मर्डर केस में आरोपित रहे माफिया अतीक अहमद व अशरफ ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया था। आरोप थे कि अतीक और उनके साथियों ने 28 फरवरी 2006 को उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। अपहरण के बाद उमेश को तीन दिनों तक अतीक के चकिया स्थित कार्यालय पर रखा गया था। यहां पर उसे तमाम तरह से यातनाएं दी गई थीं। दबाव बनाया गया था कि उमेश मामले में गवाही नहीं दे और मुकर जाय। तीन दिन तक टॉर्चर सहन के बाद उमेश ने गवाही बदल दी थी। लेकिन, वह तभी तक खामोश रहे जब तक सूबे का निजाम बदला नहीं था। वर्ष 2007 में बसपा की सरकार बनी तो उमेश ने खुद के अपहरण की पैरवी शुरू की और शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से शिकायत कर दी थी। तब तक उमेश पाल जिला पंचायत सदस्य बन चुके थे। उनकी चिट्ठी पर खुल्दाबाद थाने में पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ था। नामजद लोगों में अतीक अहमद व अशरफ और अतीक के अधिवक्ता खान सौलत हनीफ सहित अन्य शामिल थे। पुलिस मामले की विवेचना शुरू की तो छह नाम और बढ़ गए थे। विवेचना के दौरान ही एक अभियुक्त की मौत हो गई थी। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के मुताबिक वर्ष 2009 में उमेश पाल अपहरण कांड में पुलिस के जरिए चार्ज शीट लगाई गई थी। कोर्ट में यह केस 17 साल तक चलता रहा। अदालत के जरिए 28 फरवरी 2023 को मामले में सजा सुनाई गई। आरोपित रहे अतीक अहमद वकील खान सौलत हनीफ व दिनेश पासी को कोर्ट ने आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि अतीक के भाई अशरफ समेत आबिद, जावेद, फरहान, इशरार व आसिफ उर्फ मल्ली एवं एजाज अख्तर सहित कुल सात लोगों को कोर्ट ने दोष मुक्त यानी बरी कर दिया था। बरी हुए अशरफ व सजायाफ्ता अतीक की 19 अप्रैल को काल्विन गेट पर हत्या हो चुकी है। इस तरह उमेश पाल अपहरण केस में दोष मुक्त हुए छह अभियुक्त शेष हैं। जिला शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि दोष मुक्त इन सभी छह अभियुक्तों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। अपील का प्रस्ताव डीएम को भेजा गया था। इस प्रस्ताव की फाइल को डीएम ने शासन को भेज दिया है। अनुमति मिलते ही अपील कर दी जाएगी।


उमेश पाल अपहरण केस में कुल सात अभियुक्तों को कोर्ट ने बरी कर दिया था। इसमें एक की मौत हो चुकी है। बचे हुए छह अभियुक्तों के खिलाफ उच्च अदालत में अपील की जाएगी। अपील के लिए डीएम को प्रस्ताव की फाइल भेजी गई थी। जिसे डीएम ने शासन को भेज दिया है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

Posted By: Inextlive