विशेष अनुष्ठान का पर्व है शिवरात्रि
शिव मंदिरों की साफ-सफाई और सजाने-संवारने का काम पूरा
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और अनुष्ठान का विशेष महत्व है। ऐसे में मंदिरों और शिवालयों की साफ-सफाई व उसे सजाने-संवारने का काम पूरा कर लिया गया है। गुरुवार 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर सिटी के मंदिरों और शिवालयों में विशेष अनुष्ठान और पूजन की तैयारी की गई है। कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार तैयारी की गई है। साथ ही मंदिर प्रशासन की तरफ से भी भक्तों को मंदिर में पूरी सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है। मनकामेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे से शुरू होगा दर्शन-पूजनमनकामेश्वर मंदिर में सुबह चार बजे से पूजन व दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाएगा। मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्माचारी जी महाराज ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर में विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही भक्तों को सैनेटाइज करने के लिए टनल लगाया गया है। मंदिर में आने वाले भक्तों को सोशल डिस्टिेंसिग का कड़ाई से पालन और मास्क का प्रयोग करने के लिए निर्देश दिया गया है। महाशिवरात्रि पर पूरी रात 4 पहर आरती होगी। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी लगातार व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैैं। मंदिर की रंगाई-पुताई के बाद झालरों से सजाया गया है।
नागवासुकी और हाटकेश्वर मंदिर में भी भव्य तैयारी सिटी के श्रीनागवासुकी और हाटकेश्वर महादेव मंदिरों में भी विशेष तैयारियां की गई है। जिससे कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए भक्त भगवान शिव का पूजन और आराधना कर सकें। इसके साथ ही मंदिरों में विशेष अनुष्ठान का भी आयोजन शिवरात्रि के अवसर पर किया गया है। ऐसे सार्थक होगा महाशिवरात्रि व्रत महाशिवरात्रि व्रत के प्रधान अंग रात्रि जागरण और उपवास का हैं। इस व्रत में उपवास की प्रधानता क्यों हुई, यह रात में ही क्यों होता है। ये सभी बातों का जानना जरूरी है। उपवास शब्द का क्या अर्थ हैआहारनिवृत्तिरुपवास: अर्थात निराहार रहने को उपवास कहते हैं। किन्तु इस व्याख्या के अंदर ही इसके वास्तविक अर्थ का भी संकेत है। आड पूर्वक हृ धातु से कर्मवाच्य में घ प्रत्यय लगने से आहार शब्द बनता है। इस शब्द के अनुसार जो कुछ आहरण किया जाता है, संचय किया जाता है, वही आहार है। उपवास शब्द का एक अर्थ ये भी है, किसी के समीप रहना है, इसलिए यहां पर उपवास का अर्थ भगवान शिव के समीप होने से है। उपनिषदों में जिसे शान्तं शिवमद्वैतं यच्चतुर्थं मन्यन्ते कहा गया है, उस शिव के समीप जाने से स्वभावत: ही जीव के मन-प्राण की समस्त रंगीन बत्तियां अपने-आप ही बुझने लगती हैं। इसी से उपवास का अर्थ होता है आहार-निवृत्ति अर्थात सूक्ष्म, स्थूल एवं स्थूलतर आहार का अत्यन्त अभाव। यह उपवास विधिपूर्वक किया जाय तो बहिरड्ग अनुष्ठानों में कमी होने पर भी कोई हानि नहीं होती। इसी कारण से इस पर्व में उपवास ही प्रधान अंग है।
शिवरात्रि का व्रत रात्रि को ही क्यों होता है?शिक्षक पंडित नागेश मिश्रा बताते हैं कि शास्त्र में दिन और रात को नित्य-सृष्टि और नित्य-प्रलय कहा गया है। एक से अनेक और कारण से कार्य की ओर जाना ही सृष्टि है और ठीक इसके विपरीत अर्थात अनेक से एक और कार्य से कारण की ओर जाना ही प्रलय है। दिन में हमारा मन, प्राण और इंद्रियां हमारे आत्मा के समीप से भीतर से बाहर विषय-राज्य की ओर दौड़ती हैं और विषयानन्द में ही मग्न रहती हैं। पुन: रात्रि में विषयों को छोड़कर आत्मा की ओर, अनेक को छोड़कर एक की ओर अर्थात शिव की ओर प्रवृत्त होती हैं। हमारा मन दिन में प्रकाश की ओर, सृष्टि की ओर, भेद-भाव की ओर, अनेक की ओर, जगत की ओर, कर्मकाण्ड की ओर जाता है और पुन: रात में लौटता है अन्धकार की ओर, लय की ओर, अभेद की ओर, एक की ओर, परमात्मा की ओर और प्रेम की ओर। दिन में कारण से कार्य की ओर जाता है और रात में कार्य से कारण की ओर लौट आता है। इसी से दिन सृष्टि का और रात प्रलय का द्योतक है। नेति नेति की प्रक्रिया के द्वारा समस्त भूतों का अस्तित्व मिटाकर समाधियोग में परमात्मा से आत्मसमाधान की साधना ही शिव की साधना है। इसलिए रात्रि ही इसका मुख्य काल, अनुकूल समय है।
रात दस बजे से महानिषा पूजन का विशेष मुर्हूतपराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पाण्डेय बताते हैं कि त्रयोदशी तिथि बुधवार को दिन में 2.52 बजे लगकर गुरुवार की दोपहर 2.21 बजे तक रहेगी। दोपहर 2.22 बजे से चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। घनिष्ठा नक्षत्र रात 9.28 बजे है। इसके बाद सतभिषा नक्षत्र लगेगा। शिव योग भगवान शिव विवाह के लिए उपयुक्त संयोग है। रात्रि पूजन के लिए महाशिवरात्रि के दिन ओम नम: शिवाय का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए। पंचामृत से अभिषेक करना पुण्यकारी होगा। रात 10 बजे से 2 बजे तक महानिषा पूजन का विशेष मुर्हूत है। महानिषा पूजा करने से भगवान शिव व माता पार्वती को प्रसन्नता मिलती है।
धूमधाम से निकलेगी भोले बाबा की बारात महाशिवरात्रि पर इस बार भी भगवान शिव की बारात पूरी भव्यता के साथ निकलेगी। श्रीलोकनाथ मिलन संघ प्रयाग के अध्यक्ष निखिल पाण्डेय ने बताया कि शिव बारात के आयोजन को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है। सालों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन इस बार भी पूरी विधि विधान और भव्यता से होगा। इस बार शिव बारात के दौरान सोशल डिस्टेसिंग और सैनेटाइजेशन की व्यवस्था अलग से की गई है। कीडगंज से शिवरात्रि के मौके पर शोभायात्रा निकाली जाएगी। आयोजक रिंकू निषाद ने बताया कि शोभा यात्रा मोतीलाल निषाद भवन मंदिर चौखंडी कीडगंज से शुरु होकर रेवती रमण सिंह आवास गऊघाट से नई बस्ती पुलिस बूथ व मिंटो पार्क होते हुए मनकामेश्वर मंदिर पर समाप्त होगी।