हर साल पटाखों के जलने से घायल होते हैं दर्जनों लोग महंगी पड़ जाती है लापरवाही पहुंच जाते हैं अस्पताल दिवाली पर हर साल करोड़ों ंरुपए के पटाखे शहर में जलाए जाते हैं. यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोग इन पटाखों से जलकर घायल हो जाते हैं. इनमें से कुछ को तो जीवनभर इस दंश को झेलना पड़ता है. इसलिए दीवाली पर पटाखे जलाएं लेकिन संभलकर क्योंकि जरा सी लापरवाही आपके त्योहार के मजे को खराब कर सकती है.


प्रयागराज ब्यूरो, इन बातों का रखें ख्याल- पटाखे जलाते समय उचित दूरी बनाए रखें।- छत से पटाखे जलाकर सड़क पर मत फेंके।- जानवरों और पौधाों से दूरी बनाकर पटाखे जलाएं।- अधिक आवाज वाले पटाखे बच्चों और बुजुर्गों से दूर रखें।- आतिशबाजी को किसी सुनसान जगह पर जलाएं।- पटाखे जलाते समय हाथों में बारूद लग जाता है, इसे अपनी आखों में जाने से बचाएं।दुर्घटना होने पर ये करें- कपड़ों पर आग लगने पर मोटे कपड़े या कंबल से ढककर व्यक्ति को जमीन पर लोटने को कहें।- जले हुए भाग को ठंडे पानी से देर तक धोएं।- अगर जले हुए भाग पर कपड़ा चिपक गया है तो उसे खीचकर मत निकालें।- अधिक गंभीर होने पर व्यक्ति को तत्काल अस्पताल पहुचाएं।- छोटे बच्चों से दूर रखें पटाखेइनको होती है सबसे ज्यादा दिक्कत
पटाखे जलाने से सबसे अधिक अस्थमा के मरीजों को दिक्कत होती है। इसके धुएं से उनको सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर घर में आसपास ऐसा कोई रोगी हो तो दूर जाकर पटाखा जलाएं। ऐसे रोगियों को दीपावली के मौके पर अपने साथ इनहेलर और दवा रखनी चाहिए। इसी तरह दिल के रोगियों को भी दीवाली पर कमरे के भीतर रहना चाहिए। वरना तेज आवाज से उनको दिक्कत हो सकती है।बाजार में बिक रहे इको फ्रेंडली पटाखेऐसा नही है कि आप्शन नही है। बाजार में इको फ्रेंडली पटाखे भी बिक रहे हैं। इनमें न तो बारूद होती है और न ही खतरनाक केमिकल। इनको जलाने पर किसी प्रकार की समस्या नही होती। जलने का भी डर नही रहता है। इनसे किसी को प्राब्लम नही होती है। मार्केट में यह उचित दामों पर मिल जाएंगे। डॉक्टर्स का कहना है कि इको फ्रेंडली पटाखों को यूज करने से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।वर्जन-फोटोपटाखों को जलाने के दौरान सावधानी बरतनी जरूरी है। क्योंकि कई बार पटाखों से गंभीर दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे लोग जल जाते हैं और आने वाले कई दिनों तक दर्द से जूझना पड़ता है। जल जाने के बाद जले हुए स्थान को ठंडे पानी से धुलने के बाद सीधे डॉक्टर को दिखाएं।डॉ। राजीव सिंह, डायरेक्टर, नारायण स्वरूप अस्पताल मुंडेरा

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