स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग जारी, प्रयागराज यूपी में 5वें ओवरआल 26वें स्थान पर पांच पायदान फिसला अपना शहर
प्रयागराज (ब्यूरो)। बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण में मोहल्लों से लेकर गलियों तक की चेकिंग की जाती है। घरों से कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम में 40 वार्डों में लायन सर्विसेज और 40 वार्ड में डीटीडीसी को हॉयर किया था। सितंबर माह में मानक के हिसाब से काम नही होने पर नगर निगम ने डीटीडीसी का टेंडर निरस्त कर दिया था। इसके बाद पुन: नया टेंडर निकाला गया है। लेकिन इस बीच शहर के बचे हुए 40 वार्डों की स्थिति खराब हो गई। स्वच्छता सर्वेक्षण में यह चीज रैकिंग गिरने का अहम कारण बन गई।
मनमाफिक काम कर रहे कर्मचारी
सफाई की सबसे खराब स्थिति पुराने शहर में है। यहां पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाले गलियों के भीतर जाना पसंद नही करते। लोगों की शिकायत है कि अगर वह इंटीरियर में आए तो बेहतर होगा। ऐसे में शहर के पुराने मोहल्लों के भीतरी हिस्सों में कई दिनों तक कूड़ा पड़ा रहता है। जब सर्वे हुआ तो यह सच सामने आ गया। लोगों की यह भी शिकायत है कि शहर के जिन सड़कों से वीआईपी गुजरते हैं उनकी सफाई बेहतर होती है लेकिन बाकी गलियों को लेकर नगर निगम सफाई में लापरवाही बरत रहा है।
ये कारण भी रहे शामिल
पिछले कुछ महीनों में तकनीक का अधिक इस्तेमाल हुआ है लेकिन मैन पॉवर में कमी नजर आ रही है।
शौचालयों की व्यवस्था अच्छी नही है। एजेंसियां इनकी साफा सफाइ में ध्यान नही दे रही हैं।
जिम्मेदार अधिकारी गली-मोहल्लों में नहीं पहुंच रहे हैं जिससे प्राइवेट एजेंसियों को मनमानी का मौका मिल गया है।
पब्लिक को साफ सफाई नियमों को लेकर जागरुक नही किया जा रहा है। उनको पता नही है कि किस डिब्बे में सूखा या किसमें गीला कचरा रखना है।
नियमानुसार सौ किलो से अधिक रोजाना कूड़ा निकलने या चार हजार वर्गमीटर से अधिक एरिया वाले संस्थान को खुद से कूड़ा डिस्पोज आफ करने का संसाधन तैयार करना है। लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नही है।
बहुत से लोग हैं जो डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वालों को शुल्क देने से बच रहे हैं। इन पर कोई कार्रवई नही हो रही है। यह लोग खुले में कचरा फेक रहे हैं।
कुंभ के दौरान शहर में जगह जगह रखे गए डस्टबिन अब नही दिख रहे हैं। इस पर कोई ध्यान नही दे रहा है।
मोहल्लों के भीतर गलियों की स्थिति ठीक नही है। वहां पर सफाई व्यवस्था अच्छी नही है। मानीटरिंग में भी कोई ध्यान नही दे रहा है। पुराने शहर की हालत अधिक खराब है।
कमल मेहरोत्रा
दीपक शर्मा जिन रास्तों से वीआईपी गुजरते हैं उनकी हालत बेहतर है और गलियों में कोई झांकने नही आता। शौचालयों की साफ सफाई सही नही है। पैसा लेने वाली एजेंसियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
पप्पन भईया