एक जैसी घटनाओं का रिपीटेशन है चिंता का कारणफ्रस्ट्रेशन एग्रेशन के चलते लोग पार कर देते हैं क्रूरता की हदेंएक तरफा सामाजीकरण से बुलंद हो रहे दबंगों के हौसलेगंगापार एरिया में लगातार सामूहिक नरसंहार होना आम बात नही है. यह एक प्रकार की मनोवृत्ति है जो क्रूर और कुंठाग्रस्त लोगों के लिए उदाहरण बनती जा रही है. बदले की आग और रंजिश के शिकार ऐसी घटनाओं से सीख लेकर बार-बार इस पैटर्न को अंजाम दे रहे हैं. एक्सपट्र्स का कहना है कि एक तरफा सामाजीकरण भी इसका बड़ा कारण है. ताकतवर इसका लाभ उठाकर कमजोर के खिलाफ कोई भी कदम उठा लेते हैं. जिससे समाज में ऐसी वारदातों की संख्या बढ़ती जा रही है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। गुरुवार को फाफामऊ थाना क्षेत्र के मोहनगंज फुलवरिया गोहरी गांव में एक परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या एकमात्र एग्जाम्पल नही है। गंगापार में पहले ऐसी चार घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें एक ही परिवार के कई सदस्यों को मार दिया गया। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को एक्सपर्ट बारीकी से देखते हैं। उनका कहना है कि बदला लेने की प्रवृत्ति पाले व्यक्ति के मन में विचार आता है कि मैं भी अपने दुश्मन के साथ ऐसा ही करूंगा। बल्कि उन्हें ऐसा नही करने के बारे में सोचना चाहिए। ऐसे लोग पर्सनालिटी डिसआर्डर के भी शिकार होते हैं। क्रोध और कुंठा बढऩे पर वह अचानक बड़ा कदम उठा लेते हैं।सहनशक्ति नीचे, एग्रेशन ऊपर


मनोविज्ञान में एक थ्योरी काम करती है। जिसे फस्ट्रेशन एग्रेशन कहते हैं। जिसमें बताया जाता है कि इससे ग्रसित व्यक्ति किसी के साथ कुछ भी कर सकता है। खुद के साथ वह सुसाइड कर लेता है तो सामने वाले को बेरहमी से मार देता है। ऐसे लोगों की सोचने समझने की शक्ति नही होती है। ऐसी घटनाओं के पीछे यही कारण काम कर रहा है। अगर पुरानी रंजिश या खुन्नस है तो यह भी फ्रस्ट्रेशन और एग्रेशन का कारण बन जाती है। ऐसे में मौका मिलते ही लोग अपनी दुश्मनी निकाल लेते हैं।

मध्यस्थता है जरूरीजब दो लोगों के बीच किसी कारण से दूरी या वैमनस्य बढ़ रह हो तो ऐसे में तीसरे पक्ष को मध्यस्थता कराना जरूरी होता है। हो सकता है कि एक पक्ष अधिक बलवान हो लेकिन मध्यस्थता यहां भी हो सकती है। जिससे भविष्य में ऐसी नृशंस घटनाओं को होने से टाला जा सके। दूसरा बड़ा कारण एक तरफा सामाजीकरण है। जो अमीर है वह अमीर हो रहा है और जो गरीब और कमजोर है वह इससे भी नीचे जा रहा है। इससे कमजोर को दबाने के लिए सारी हदें लोग पार कर रहे हैं। पूरे परिवार को मारकर दूसरों के लिए एग्जाम्पल सेट कर रहे हैं। जिससे उनका बदला पूरा हो जाए, अन्य दुश्मनों को वार्निंग चली जाए और घटना का कोई साक्ष्य भी नही बचे। गंगापार ऐसी घटनाओं का होना कोई अन्य कारण नही है। बल्कि यह ऐसी घटनाओं से सीख लेने की मनोवृत्ति को बढ़ा रहा है। लोगों को सोचना चाहिए ऐसा नही होगा, लेकिन वह सोचते हैं कि हम भी ऐस ही बदला लेंगे। यही कारण है कि ऐसी घटनाएं बार-बार रिपीट हो रही हैं। समाजिक दृष्टिकोण से यह सही नही है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक

पहले ऐसी घटनाएं नही होती थीं। फिर एक हुई और अब ट्रेंड बनता जा रहा है। वारदात को अंजाम देने वाला सोचता है कि उसका कुछ नही होगा। ऐसा करने से दूसरों को भी आसानी से दबाया जा सकेगा। यही कारण है कि दबंग और मजबूत होते जा रहे हैं। अगर दो पक्षों में ऐसी कोई प्राब्लम क्रिएट होने के चांसेज हैं तो तीसरे पक्ष को तत्काल समझौता कराने से पीछे नही हटना चाहिए।डॉ। दीपा पुनेठा, मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive