छावनी अस्पताल के डॉक्टरों ने बुधवार को साहस और समझदारी का परिचय देते हुए एक महिला मरीज की जान बचा ली. केस काफी कठिन था लेकिन इसे रेफर करने के बजाय हैंडल करने में अस्पताल प्रशासन ने रुचि दिखाई. जानकारी के मुताबिक 16 अक्टूबर की रात एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसे केवल दो प्वाइंट हीमोग्लोबिन था और वह डेंगू से ग्रसित थी. उसका बच्चा भी पेट में दम तोड़ चुका था. उसे नही निकाला जाता तो महिला की जान भी जा सकती थी. कई अस्पतालों ने केस की गंभीरता को देखते हुए उसे एडमिट करने से मना कर दिया था.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। महिला के एनीमिक होने के चलते छावनी अस्पताल के प्रोजेक्ट हेड डॉ। सिद्धार्थ पांडेय ने बेली अस्पताल से नौ यूनिट ब्लड की मांग कि जिसे तत्काल पूरा कर दिया गया। 19 अक्टूबर को डॉ प्रीति सिंह और डॉ। वैशाली सिंह ने महिला का नार्मल प्रसव कराकर मृत बच्चे को बाहर निकाला। इस प्रक्रिया में चार घंटे लगे। बता दें कि एक ओर जहां डेंगू के मरीजों की उचित इलाज नही होने से अस्पतालों में लगातार मौत हो रही है वहीं छावनी अस्पताल का यह कारनामा अन्य अस्पतालों के लिए नजीर बन सकता है।

महिला जब हमारे यहां भर्ती हुई थी उसके चौबीस घंटे पहले ही उसके पेट में बच्चा दम तोड़ चुका था। वह सीवियर एनीमिया से ग्रसित थी और डेंगू ज्वर से पीडि़त थी। ऐसे में उसकी सर्जरी नही की जा सकती थी और केवल नार्मल डिलीवरी कराने का निर्णय लिया गया। हमारी टीम ने महिला का सामान्य प्रसव कराकर उसकी जान बचाने में सफलता पाई है।डॉ। सिद्धार्थ पांडेय, प्रोजेक्ट हेड, छावनी अस्पताल प्रयागराज

Posted By: Inextlive