जोश में होश खो बैठे छात्र
प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस साल से फीस बढ़ाने का फैसला लिया है। इस प्रस्ताव को यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव और एकेडमिक दोनो कौंसिल मंजूरी दे चुकी है। फैसले के अनुसार फीस की वसूली इसी साल से की जाएगी लेकिन सिर्फ उन छात्रों से जो नया प्रवेश ले रहे हैं। जो आलरेडी छात्र हैं और नेक्स्ट क्लास में एडमिशन लेंगे उन्हें पुराना स्ट्रक्चर ही पे करना है। यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले का छात्रों का एक समूह विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि एक बार में फीस बढ़ाकर चार गुना कर दिये जाने से गरीब छात्रों का प्रवेश ले पाना मुश्किल हो जायेगा। यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहना और खाना मुश्किल हो जायेगा। फीस वृद्धि वापस लेने की मांग कर रहे छात्र कैंपस में कई बार यूनिवर्सिटी प्रशासन से टकरा चुके हैं। कर्नलगंज थाने में इस संबंध में करीब आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसके बाद भी छात्र झुकने को तैयार नहीं है। कुछ छात्र आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। यूनिवर्सिटी में यूजी कोर्सेज में प्रवेश शुरू होने जा रहा है। एडमिनिस्ट्रेशन इससे पहले ही साल्यूशन चाहता है। इसी के चलते बुधवार को मिटिंग बुलायी गयी थी। इसमें 22 छात्रों को शामिल होना था। इस लिस्ट को एयू प्रशासन ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें से ज्यादातर बाहरी या कॉलेज के हैं। गुरुवार को फिर से मिटिंग कॉल की गयी तो आंदोलन करने वाले छात्रों को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था।
एबीवीपी ने कहा, हमे बाहर क्यों किया
कहा जा रहा है कि इस बैठक में प्रतिनिधित्व को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। समिति कक्ष के दरवाजे को तोडऩे की कोशिश की। हंगामे में एक गमला भी तोड़ दिया। प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों के साथ जमकर धक्का-मुक्की और गालीगलौज हुई। बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में किया। हंगामे की वजह से बैठक स्थगित कर दी गई। संयुक्त छात्र संघर्ष समिति ने इसके लिए अभाविप को जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी तरफ एबीवीपी ने इसे उचित प्रतिनिधित्व न मिलने पर विरोध प्रदर्शन बताया है। बता दें कि मामले का साल्यूशन निकालने के लिए गठित हाई पावर कमेटी में कुलसचिव, डीएसडब्लू, प्राक्टर, शिक्षक और जिला प्रशासन के अधिकारियों को शामिल किया गया था। समिति ने गुरुवार को बुलायी गयी मिटिंग में शर्त रखी थी कि इसमें छात्रसंघ के पूर्व सदस्य, निलंबित छात्र, अन्य महाविद्यालयों के छात्र या पूर्व छात्र नहीं होंगे। बातचीत के लिए 15 छात्रों के नाम दिए गए और आठ छात्र मिलने पहुंचे। इन्हें प्रवेशपत्र और स्कोरकार्ड देखकर प्रवेश दिया गया। इस बीच अभाविप की ओर से दी गई चार छात्रों की सूची में से दो छात्र पहुंचे पर किसी को अनुमति नहीं दी गई। अभाविप कार्यकर्ता भड़क गए और हंगामा शुरू कर दिया।
अभिनव मिश्र, संयोजक एबीवीपी मीडिया माहौल देखने के बाद प्रशासन के सुझाव पर मीङ्क्षटग स्थगित कर दी गयी। प्रदर्शनकारियों ने प्राक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार किया और सभी लोगों को बैठक में शामिल करने की मांग की। चीफ प्रॉक्टर और अन्य प्राक्टोरिअल बोर्ड सदस्यों का के साथ गाली गलौज करते हुए मारने की धमकी दी गई।
डा। जया कपूर
पीआरओ, एयू
जिला प्रशासन की मध्यस्थता पर यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने हम सभी से बात करने पर सहमति दी थी। इसमें संयुक्त संघर्ष समिति समिति, एबीवीपी और अपना दल के सभी लोग थे। मिटिंग शुरू होते ही एबीवीपी मेंबर अराजकता पर उतर आये। दरवाजा पीटने लगे। उन्हीं लोगों ने अभद्रता और मारपीट की है। संयुक्त संघर्ष समिति का इससे कोई लेना देना नहीं है।
अजय सम्राट, संयोजक
संयुक्त संघर्ष समिति