छात्रों की परफार्मेस पर पड़ सकता है असर
एग्जाम ऑवर कम करने से खुद को बेहतर ढंग से प्रजेंट करने में बच्चों को हो सकती है दिक्कत
स्कूलों में शुरू से तीन घंटे एग्जाम के लिए किया जाता रहा है तैयार prayagraj@inext.co.inPRAYAGRAJ: सीबीएसई की ओर से 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही है। कोविड 19 के बीच बोर्ड परीक्षा कराने के लिए बनाए गए प्रपोजल में दो तरह के आप्शन रखे गए हैं। जिसको लेकर अभी से ही चर्चा होने लगी है। खासतौर पर सीबीएसई की ओर से तैयार प्रपोजल के अनुसार परीक्षा का समय कम किए जाने और कुछ सब्जेक्ट की ही परीक्षाएं आयोजित किए जाने को लेकर टीचर्स और प्रिंसिपल की अपनी -अपनी राय है। एक तरफ टीचर्स इस बात को लेकर डाउट में है, कि एग्जाम का समय कम होने से बच्चे अपना बेस्ट नहीं दे पाएंगे। वहीं कुछ टीचर्स पेंडेमिक के समय में बच्चों को ऐसे बदलाव के लिए तैयार रहने की बात करती है।
ब्रिलिएंट बच्चे होंगे प्रभावितसीबीएसई की ओर से बोर्ड परीक्षा को लेकर तैयार प्रपोजल पर चर्चा के दौरान कई स्कूलों की प्रिंसिपल का मानना है कि अचानक से होने वाले ऐसे बदलाव से सबसे ज्यादा असर ब्रिलिएंटबच्चों की परफार्मेंस पर पड़ेगा। उसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि ऐसी स्थिति के लिए बच्चे अभी तैयार नहीं है। दूसरी बात शुरू से ही बच्चों को तीन घंटे के पेपर के हिसाब से तैयारी करायी गई है। ऐसे में वह तीन घंटे के पेपर को ही अपने माइंडसेट में लेकर चल रहे है। साल भर की उनकी मेहनत डेढ़ घंटे के पेपर में दिखना मुश्किल होगा। ऐसे में ब्रिलिएंट बच्चों के रिजल्ट पर उसका सीधा असर पड़ेगा। जो उनके लिए ठीक नहीं होगा। हालांकि एवरेट व बिलो एवरेज बच्चों को इससे सीधा फायदा हो सकता है।
कौन डिसाइड करेगा कौन सा सब्जेक्ट इंपोर्टेंट है सीबीएसई की ओर से बोर्ड परीक्षा को लेकर तैयार प्रपोजल में ये भी कहा गया है कि कुछ सब्जेक्ट के ही पेपर कराए जाए। ऐसे में टीचर्स और प्रिंसिपल का आब्जेक्शन है कि आखिर ये कौन डिसाइड करेगा कि किस बच्चे के लिए कौन सा सब्जेक्ट इंपोर्टेंट है। जिसका पेपर उसके लिए होना चाहिए। क्योकि कई बार स्टूडेंट्स मेन सब्जेक्ट के अलावा आप्शनल सब्जेक्ट में ही आगे करियर बनाना चाहते हैं।ऐसे में कुछ सब्जेक्ट के आधार पर उनके अन्य सब्जेक्ट के नम्बर देना कहां तक उचित होगा। इससे उनकी योग्यता सिद्ध करने का मौका स्टूडेंट्स को नहीं मिलेगा। जिससे वह आगे करियर को डिसाइड करने में दिक्कत महसूस करेंगे। साथ ही जिन सब्जेक्ट के पेपर नहीं होगे। उन सब्जेक्ट में एडमिशन लेने के लिए यूनिवर्सिटी कैसे डिसाइड करेंगी कि किस बच्चे का परफार्मेस अच्छा है और किसे एडमिशन देना है। अंडर ग्रेजुएशन प्रोग्राम में दाखिले में भी आगे दिक्कत आ सकती है।
बच्चों को करानी होगी तैयारी सीबीएसई के प्रपोजल को लेकर कुछ स्कूलों के प्रिंसिपल का कहना है कि इसके लिए बच्चों को अभी से तैयारी करानी होगी। डीपी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल जया सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बात की जानकारी होते ही तैयारी भी शुरू कर दी। इसके लिए वह दो दिन बाद से ही बच्चों के लिए डेढ़ घंटे की मॉक टेस्ट की शुरुआत करने जा रही है। जिससे बच्चों को डेढ़ घंटे के पेपर की आदत पड़ सके और वह यूजटू हो सके। वहीं कुछ स्कूलों की प्रिंसिपल का कहना है कि अभी इस टापिक पर बात करना काफी जल्दीबाजी है। क्योकि 1 जून को ही सीबीएसई की ओर से फाइनल डिसीजन लिया जाना है। उसके बाद ही कुछ कहना उचित होगा।- आब्जेटिव प्रश्न एग्जाम में बच्चों को कम दिए जाते हैं। जिससे उनको आदत नहीं होती। कुछ सब्जेक्ट की परीक्षा पर ओवरआल जज करना फेयर नहीं होगा।
जया सिंह प्रिंसिपल, डीपी पब्लिक स्कूल - ये कौन डिसाइड करेगा कि कौन से सब्जेक्ट का पेपर जरूरी है और कौन नहीं। डेढ़ घंटे के पेपर से ब्रिलिएंट बच्चों की परफार्मेस पर असर पड़ेगा। बाकी 1 जून के बाद ही कुछ कहना ठीक होगा। डॉ। सुजाता सिंह प्रिंसिपल, डीपीएस, अरैल - आज की स्थिति में बच्चों को हर चीज के लिए तैयार होना चाहिए। मुझे लगता है कि कम शब्दों में अपनी बात कहने की कला आनी चाहिए। इसलिए मेरे हिसाब से डिसिजन ठीक है। रविन्दर बिरदी प्रिंसिपल, एसएमपीपीएस