सिटी में आवारा कुत्तों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि हो रही है. सामान्य दिनों में कुत्तों के काटने के 70 से 80 मामले सामने आते थे जो बीते पंद्रह दिनों से बढ़कर जस्ट डबल हो गया है. अब रोजाना दो सौ के आसपास लोग स्ट्रीट डॉग के शिकार बन रहे हैं जो सरकारी अस्पतालों तक पहुंच रहे हैं.सरकारी अस्पतालों में डाग बाइट रेबीज वैक्सीन भी लिमिटेड है. डाक्टरों की माने तो ठंड में कुत्ते सामान्य दिनों के तुलना ज्यादा हमलावर हो जाते है. वक्त रहते नगर निगम व प्रशासन ने कुछ नहीं किया तो यह संख्या और तेजी से बढ़ सकती है.

प्रयागराज ब्यूरो । सिटी के अंदर हर गली, मोहल्ले में कुत्तों का झुंड रोजाना सैकड़ों लोगों को शिकार बना रहे हैं। कुछ लोग अपनी बुद्धिमानी से बचकर निकल जाते है तो कुछ शिकार हो जाते है। सबसे ज्यादा खतरा लोगों को रात के समय पर होता है। कुत्तों का झुंड शांति से कही अंधेरे में धीरे से बैठे रहते है। बाइक, साइकिल व पैदल जा रहे लोग जैसे ही गुजरते हैं उन पर अटैक करने लगते हैं। कुछ लोग अचानक हमले से गिर कर चोटिल हो जाते है तो कुछ कुत्तों का शिकार हो जाते हैं। वहीं बीते कुछ महीनों से नगर निगम की टीम भी कुत्तों को पकडऩे में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। ऐसे में न तो कुत्तों को वैक्सीन दी जा रही न ही उनकी बढ़ती आबादी पर कंट्रोल हो रहा।
सर्दी में हो जाते है खूंखार
जानकारों की मानें तो ठंड के सीजन में कुत्ते इरिटेट होकर अधिक खूंखार हो जाते है। यही वजह है कि इस सीजन में डॉग बाइट के मामले अधिक आते है। आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में हर घंटे करीब आठ से दस लोग डॉग बाइट के शिकार हो रहे है। इनके आंतक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले में हर महीने डॉग बाइट के करीब आठ हजार लोग हॉस्टिपल पहुंच रहे है। इसमें सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल शामिल है। लेकिन बीते पंद्रह दिनों से मरीज करीब रोजाना सौ के आसपास आ रहे है।

कुत्ते के काटने पर क्या करें?
डाक्टर अरूण गुप्ता का कहना है कि अगर किसी शख्स को कुत्ता काट लेता है तो काटने के बाद पीडि़त को तुरंत साफ पानी और साबुन से उस जगह को अच्छे से धो लेना चाहिए। कुत्तों के लार में रेबीज नामक कीटाणु होते है जो जानलेवा होते है। इसलिए कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन लगवाना बहुत ही जरूरी होता है। कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन नहीं लगाने से मौत हो सकती है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है।

हाईलाइट
डॉग बाइट के तीन ग्रेड होते है। जो बाइट की गहराई पर डिपेंड करता है।

ग्रेड वन
- अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं
- अगर कुत्ते में रैबीज़ का इंफेक्शन है तो शरीर में भी रैबीज़ के वायरस आने की आशंका बनी रहती है।
- खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस कटे हुए हिस्से को चाट लिया हो।

ग्रेड टू
- कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई दे तो एहतियात बरतना जरूरी है।
- कुत्ते के काटने की अनदेखी घातक हो सकती है। रैबीज का वायरस एक बार शरीर में जाकर सालों तक रह जाता है।

ग्रेड थ्री
- आमतौर पर कुत्ता हाथ, पैर या चेहरा में से किसी एक जगह पर ही काटता है।
-हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है तो यह खतरनाक है।


अस्पतालों में मरीजों की संख्या अक्सर ठंड आते ही बढ़ जाती है। क्योंकि ठंड में कुत्ते ज्यादा एग्रेसिव हो जाते है। अस्पतालों पर्याप्त इंजेक्शन उपलब्ध है।
वर्जन - नानक सरन,
सीएमओ

Posted By: Inextlive