- वर्क प्लेस और मार्केट में यूरीनल सुविधा नहीं होने से से बढ़ रही महिलाओं में यूटीआई की समस्या- किडनी पर मंडरा रहा खतरा डॉक्टर्स भी कर रहे हैं होशियार

प्रयागराज ब्यूरो । वर्क प्लेस और मार्केट में यूटिलिटी उपलब्ध नहीं होने से महिलाओं में यूटीआई (यूरीनरी टै्रक इंफेक्शन) की समस्या बढ़ रही है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि डॉक्टर्स का कहना है। सुविधा उपलब्ध नही होने से महिलाओं को कई कई घंटे अपनी यूरीन को रोकना पड़ता है जिसकी वजह से वह संक्रमण का शिकार हो रही हैं। डॉक्टर्स की ओपीडी में बढ़ते केस इसका प्रमाण बन रहे हैं। खुद डॉक्टर्स महिलाओं को अधिक देर तक यूरीन नही रोकने की सलाह दे रहे हैं।
70 फीसदी तक पहुचे मामले
यूरोलाजी की ओपीडी में ऐसे मामलों की संख्या 70 फीसदी तक पहुंच गई है। पांच साल पहले यह रेशियो 60-40 का था। लेकिन वर्तमान में अगर यूटीआई के सौ मामले हैं तो उनमें से 70 फीसदी महिलाओं के हैं। कारण साफ है। महिलाएं वर्किंग प्लेस पर यूटिलिटी उपलब्ध नही होने से परेशान हैं। इसी तरह से मार्केट में भी यूटिलिटी प्रॉपर अवेलेबल नही है। यही कारण है कि महिलाओं में यूटीआई की समस्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
गंदगी से परेशान हैं महिलाएं
ओपीडी मे आने वाली महिलाओं का कहना है कि वह सार्वजनिक प्लेस पर बने यूटिलिटी की गंदगी से परेशान हैं। इसलिए वहां आने का मन नही होता है। शहर में चौक, कटरा, सुलेम सराय या कोई और मार्केट हो, यहां पर महिलाओं के यूरिनल की जबरदस्त कमी है। जो है वह भी गंदगी का शिकार हैं। इसकी वजह से महिलाएं वहां आने से बचती हैं। यही हाल वर्क प्लेस का है। कॉमन यूटिलिटी होने से वहां पर भी गंदगी बहुत अधिक होती है। संकोचवश महिलाएं सुबह से शाम तक घर जाकर फ्रेश होने का इंतजार करती हैं।
चार घंटे में फुल हो जाता है ब्लैडर
डॉक्टर्स का कहना है कि यूरीन ब्लेडर को भरने में तीन से चार घंटे लगते हैंॅ इसके बाद यह पूरी तरह से फुल हो जाता है और यूरीन को रोकने से किडनी पर असर पडऩे लगता है। लेकिन इसकी जानकारी नही होने से महिलाएं पांच से छह घंटे तक यूरीन को रोकने लगती है। यह बहुत अधिक घातक और खतरनाक है। किडनी के खराब होने से फिर रिकवरी होना मुश्किल हो जाता है।
8 फीसदी की किडनी होती है इफेक्टेड
कई मामलों में डाक्टर्स के इलाज से महिलाओं को यूटीआई ठीक हो जाता है। हालांकि इसके बार बार होने के चांसेज बने रहते हैं। ऐसा इसलिए कि महिलाओं का यूरिनल ट्रैक पुरुषों के मुकाबले छोटा होता है इसलिए किडनी तक इसका असर पहुंचने में अधिक समय नही लगता है। समय से इलाज नही मिलने से 7 से 8 फीसदी महिलाओं किडनी इंफेक्टेड हो जाती है। तब इलाज पहले से अधिक कठिन हो जाता है।
सेक्सुअल एक्टिविटी भी जिम्मेदार
डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं में यूटीआई का एक अन्य कारण सेक्सुअल एक्टिविटी भी है। जिसमें पार्टनर को यूटीआई होने की वजह से महिलाएं भी संक्रमण का शिकार हो जाती हैं। खासकर शादी शुदा महिलाएं। ऐसे मामले भी सामने आते हैं और इसमें महिलाओं के पतियों की भी जांच कराई जाती है। उनका भी संक्रमण का इलाज किया जाता है।


काफी वायरल हुआ सेलिब्रिटी का बयान
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यूटीआई के मामले अधिक होते हैं। कारण कि मजबूरी में उन्हे काफी दूर तक यूरीन को रोकना पड़ता है। हाल ही में एक्ट्रेस आलिया भट्ट का एक बयान काफी वायरल हुआ। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले पेरिस फैशन वीक में उन्हें छह घंटे तक अपनी यूरीन रोकना पड़ा था। कारण था कि उन्होंने काफी भारी भरकम साड़ी पहनी थी जिसको पहनकर वह वाशरूम नही जा सकती थीं। उनके इस बयान ने एक बार फिर महिलाओं की यूटीआई की समस्या को नई बहस दे दी हैं। क्योंकि बार बार छह छह घंटे तक अगर यूरीन को रोका जाए तो इंफेक्शन के चांसेज बन जाते हैं।
हमारी सोसायटी की ये अहम समस्या है। महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थलों पर यूटिलिटी की प्रॉपर व्यवस्था नही होती है। इसकी वजह से वह यूरीन को अधिक समय तक रोकती हैं और संक्रमण का शिकार हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
डा। दिलीप चौरसिया, यूरो सर्जन, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

महिलाओं को यूरीन नही रोकना चाहिए। यह उनकी किडनी के लिए घातक हो सकता है। बार बार ऐसा करने से समस्या अधिक गंभीर होने लगती है। पुरुष भी इस समस्या से ग्रसित हो रहे हैं। इसको लेकर सोसायटी में जागरुकता की कमी है।
डॉ। अरविंद गुप्ता, यूरोलाजिस्ट, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive