'आवारा' बना रहे हैं 'पागल'
आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हैं शहर के लोग
-सरकारी रोकथाम का इंतजाम नहीं, खुद से बचना जरूरी ALLAHABAD: गली या सड़क से गुजर रहे हैं तो होशियार हो जाइए। आवारा कुत्ते अचानक आप पर हमला कर सकते हैं। पूरा शहर इनके आतंक से त्रस्त है लेकिन प्रशासन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। आंकड़ों पर जाएं तो डॉग बाइट के मरीजों की संख्या में पिछले कुछ माह में कोई कमी नहीं आई है। बावजूद इसके रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। हर माह आते हैं सैकड़ों मरीजकेवल शहर की बात करें तो बेली और काल्विन हॉस्पिटल में हर महीने 1500 से अधिक डॉग बाइट के मरीज दस्तक देते हैं। इसके अलावा मरीजों की एक बड़ी संख्या है जो प्राइवेट हॉस्पिटल में महंगा इलाज कराती है। ग्रामीण इलाकों की सीएचसी-पीएचसी में यह आंकड़े और भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं। लोगों की मानें तो ध्यान नहीं दिए जाने से आवारा कुत्ते लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं।
पालतू कुत्तों को लगता है इंजेक्शनसरकार द्वारा रैबीज कंट्रोल यूनिट के तहत कुत्तों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाए जाने की व्यवस्था की गई है। यहां पर कार्ड बनाने के बाद कुत्तों को वैक्सीन लगाई जाती है। यह जानकर ताज्जुब होगा कि गिनती के पालतू कुत्ता मालिकों ने उनको वैक्सीन लगवाई है जबकि आवारा कुत्तों को शायद ही यह सुविधा मुहैया हो पाती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 580 और पिछले वित्तीय वर्ष में 982 कुत्तों को वैक्सीनेटेड किया गया।
नगर निगम को सरकारी फंड का इंतजार लोगों को रैबीज से बचाने के लिए सरकार ने कुछ साल पहले कुत्तों के बधियाकरण की योजना लांच की थी। लेकिन, अभी तक नगर निगम इसकी शुरुआत नहीं कर पाया है। उन्हें इसके लिए फंड का इंतजार है। इसके अलावा कैटल वाहनों की सक्रियता भी बहुत अधिक नही है। लोगों के शिकायत करने के बाद ही यह वाहन आवारा कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई करते हैं। हालांकि इस बारे में अधिक जानकारी देने के लिए नगर निगम के अधिकारी उपलब्ध नहीं थे। क्या है रैबीजरैबीज एक विषाणुजनित रोग है। जब तक इसके लक्षण शुरू होते हैं, तब तक यह हमेशा घातक होता है, लेकिन यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। भारत में रैबीज एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, इससे हर साल अनुमानित 20,000 लोगों की मौत हो जाती है। 99 फीसदी मामलों में कुत्ते के काटने से भारत में रैबीज होता है। अगर तत्काल इलाज नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रैबीज डे के तहत लोगों को जागरुक किया जाता है।
रैबीज के मरीज कम नहीं हुए हैं। हर महीने सैकड़ों लोगों को इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इनमें बच्चों की संख्या अधिक होती है। रोजाना कम से कम सौ मरीजों को वैक्सीन दी जाती है। -डॉ। वीके सिंह, सीएमएस, काल्विन हॉस्पिटल हमारे यहां जो अपने कुत्ते का लेकर आता है उसे वैक्सीन लगाई जाती है। इसके अलावा हॉस्पिटल्स को भी वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है। लोग चाहे तो वहां भी अपने पालतू का वैक्सीनेशन करवा सकते हैं। -डॉ। आरपी पाठक, पशु चिकित्सा अधिकारी, रैबीज कंट्रोल यूनिट 20,000 लोगों की मौत हो जाती हर साल भारत में रैबीज से 1500 से अधिक डॉग बाइट के मरीज आते हैं बेली और काल्विन में 580 कुत्तों को वैक्सीनेटेड किया गया है इस फाइनेंशियल ईयर में अब तक