सरकारी एंबुलेंस की हड़ताल से परेशान हैं लोग

इमरजेंसी में काम कर रही हैं पांच सरकारी एंबुलेंस

102 और 108 एंबुलेंस की हड़ताल आम लोगों पर भारी पड़ने लगी है। इमरजेंसी में सरकारी एंबुलेंस की सेवा नहीं मिलने पर लोग अपनी या पड़ोसी की पर्सनल वाहन से अस्पताल पहुंच रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शुक्रवार को एसआरएन अस्पताल का जायजा लिया तो कई फैक्ट उभरकर सामने आ गए। यह भी जानकारी मिली कि कुछ सरकारी एंबुलेंस इमरजेंसी में संचालित हो रही है। उनके ड्राइवर आंदोलन से अलग मरीजों की सेवा में काम कर रहे हैं।

पड़ोसी ने कार से पहुंचाया

नैनी के रहने वाले कर्मवीर शुक्रवार को अपने रिलेटिव को लेकर एसआरएन पहुंचे थे। मरीज को शुगर बढ़ने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि सरकारी एंबुलेंस नही मिलने पर मरीज को पड़ोसी की पर्सनल कार से अस्पताल पहुंचाया गया है। इसी तरह अन्य मरीज भी घरेलू वाहनों से अस्पताल पहुंचे हैं। जो मरीज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किए जा रहे हैं उनको भी प्राइवेट एंबुलेंस से घर जाना पड़ रहा है। इमरजेंसी वार्ड में बताया गया कि शुक्रवार को दोपहर तक 41 मरीज भर्ती कराए गए थे। इनमें से बड़ी संख्या को सरकारी एंबुलेंस की सेवा नही मिल सकी।

मरीजों की सेवा में लगा स्टाफ

एक ओर 102 और 108 के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लखनऊ में धरना दे रहे हैं तो दूसरी ओर इसी संगठन के कुछ साथी अभी मरीजों की सेवा कर रहे हैं। दोपहर में एसआरएन पहुंचे विष्णु कुमार ने बताया कि वह झूंसी थाने की 108 एंबुलेंस के ड्राइवर हैं और इमरजेंसी में मरीजों की सेवा में लगे हैं। इसी तरह धूमनगंज की एक और बेली अस्पताल की दो एंबुलेंस अभी मरीजों को ढोने का काम कर रही हैं। इस बीच प्रतापपुर की तीन एंबुलेंस के ड्राइवर और तकनीकी स्टाफ भी दोपहर में काम पर वापस लौट आए।

केवल ड्राइवर के भरोसे एंबुलेंस

इस समय प्रयागराज में कुल 96 एंबुलेंस मौजूद हैं। इनमें आधा दर्जन का स्टाफ लौटा है बाकी एंबुलेंस अभी भी खड़ी हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हमारे पास दूसरे कार्यक्रमों में लगे ड्राइवर हैं जिनके जरिए तमाम सीएचसी में एंबुलेंस चलाई जा रही हैं। लेकिन इन एंबुलेंस पर तकनीकी स्टाफ नदारद है। ऐसे मं अगर कोई सीरियस मरीज आया तो उसे हैंडल करने में काफी दिक्कत होगी। क्योंकि ऐसे मरीजों की पल्स रेट, आक्सीजन, ब्लड प्रेशर आदि को मेंटेन रखना केवल तकनीकी स्टाफ को पता होता है।

तो अकेले हमे दोष क्यों?

रिपोर्टर ने एसआरएन में प्राइवेट एंबुलेंस चालकों से भी बात की। पूछताछ में उन्होंने बताया कि सरकारी एंबुलेंस की हड़ताल से हमें ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। लोग पर्सनल वाहनों का अधिक उपयोग कर रहे हैं। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अपनी ओर से अधिक पैसे देने का आफर देते हैं। बाद में यही लोग बताते हैं कि प्राइवेट एंबुलेंस ने अधिक पैसे ले लिए। ड्राइवरों ने बताया कि फिलहाल हम 10 किमी रेडियस में 1000 रुपए तक वसूल रहे हैं।

एक सप्ताह में मिल सकती है राहत

प्रयागराज की 96 एंबुलेंस में दस फीसदी के स्टाफ को भी लौटा हुआ मान लिया जाए तो भी 90 फीसदी एंबुलेंस के लिए भर्ती प्रक्रिया शनिवार से शुरू की जा सकती है। यह प्रक्रिया प्रदेश के 14 जिलों में होनी है। एक एंबुलेंस में कुल दो लोगों का स्टाफ होता है। एक ड्राइवर और एक तकनीकी स्टाफ चाहिए होता है। जीवीके ईएमआरआई के रीजनल मैनेजर शारदेंदु शुक्ला कहते हैं कि वैसे तो दोनों पदों पर रिटेल टेस्ट, इंटरव्यू के बाद ट्रेनिंग भी कराई जाती है। इस प्रक्रिया 15 दिन आसानी से लग जाते हैं। लेकिन अभी इमरजेंसी चल रही है इसलिए हमें एक सप्ताह का समय फिर भी रिक्रूटमेंट कराने में लग जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारी क्वालिटी भी भी प्रयागराज आ रही है। हो सकता है यह टीम चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग सेम डे से शुरू कर दे। उन्होंने बताया कि एक एंबुलेंस में 12-12 घंटे की शिफ्ट के हिसाब से कुल चार कर्मचारियों की जरूरत होती है।

कई सीएचसी का दौरा किया गया है और वहां पर आरबीएसके के ड्राइवरों को तैनात कर दिया गया है। नई भर्तियों की तैयारी सरकार के आदेश पर की जानी है। तैयारियां हो चुकी हैं। हमारी कुछ एंबुलेंस का स्टाफ काम पर लौट आया है। वह इमरजेंसी में काम कर रहे हैं।

डॉ। अशोक कुमार चौरसिया

डिप्टी सीएमओ प्रयागराज

Posted By: Inextlive