पीडीए में पेंडिंग भवनों के नक्शे आखिर क्यों पास नही हो रहे हैं. यह बहुत बड़ा सवाल है. अचानक से ऐसा क्या हुआ जो पहले एक माह में सौ नक्शे पास होते थे तो अब दस भी नही हो पा रहे हैं. इस मामले में एक्सपट्र्स का कहना है कि जिस साफ्टवेयर को सरकार ने नक्शे पास कराने के लिए लांच किया है. उसमें कुछ कमियां हैं तो उसे चलाने के लिए सफिशिएंट स्टाफ भी पीडीए के पास नही है. ऐसे में नक्शे पास होने के बजाय रिजेक्ट अधिक हो रहे हैं.

प्रयागराज (ब्‍यूरो। आर्किटेक्ट का कहना है कि प्री डीसीआर यानी प्री डिजाइन कंसर्न रिपोर्ट साफ्टवेयर लांच किया गया है। यह साफ्टवेयर नया है और इसमें कुछ कमियां भी हैं। आर्किटेक्ट्स ने पीडीए के साथ पूर्व में हुई बैठकों में इस बात को उठाया भी है। उनका कहना है कि यह साफ्टवेयर नक्शों के बाइलार्ज को कैच नही कर पा रहा है। इसकी वजह से नक्शा पास होने में देरी हो रही है।

नही है स्टाफ, कैसे चलेगा साफ्टवेयर

यह भी बताया गया कि पीडीए के पास इस साफ्टवेयर को चलाने के लिए पर्याप्त टेक्निकल स्टाफ नही है।

एक व्यक्ति को कम्प्यूटर ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था।

अभी पीडीए के सभी जेई इस साफ्टवेयर से परिचित नही हा सके हैं।

इसलिए भी नक्शे पास होने में देरी होती है। यही कारण है कि जिस नक्शे को पास करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है उसे ओके करने में डेढ़ से दो माह लग रहे हैं।

क्या है प्रॉसेस

कई स्टेप में नक्शा ऑनलाइन पास होता है। जिसमें पहले स्टेप में नक्शे को साफ्टवेयर में अपलोड करना होता है।

इसके बाद इसे साफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी चेक करती है।

नेक्स्ट स्टेप में नक्शे को आवास विकास में चेकिंग के लिए भेजा जाता है।

वापस फाइल पीडीए में जेई के पास जाती है और वह इसे ओके करता है। इसके बाद नक्शा पास होता है।

किसी भी स्टेप में दस दिन से अधिक नक्शा पेंडिंग करने का प्रावधान नही है।

अगर किसी प्रॉसेस में आब्जेक्शन लगा तो फाइल फिर से जीरो प्रॉसेस पर आ जाती है। इसमें काफी समय खर्च होता है।

प्री डीसीआर साफ्टवेयर नक्शे को आगे बढ़ाने से पहले तीन विभागों की एनओसी मांगता है। उसके स्कैन नही करने पर नक्शा अगले स्टेप पर नही जाता है।

इसमें नगर निगम, जल निगम और तहसील की एनओसी शामिल है। जिसे निकलवाने में क्लाइंट की हालत खराब हो जाती है।

20 में से 18 नक्शे हुए पास

पीडीए में ऑनलाइन नक्शे पास कराने में हो रही दिक्कतों के समाधान के लिए तीन दिवसीय विशेष कैंप का आयोजन किया गया है। पीडीए के मुख्य अभियंता रोहित खन्ना ने बताया कि इसमें पहले दिन बुधवार को 20 मामले आए थे जिसमें से 18 मामले निस्तारित कर दिए गए। अगले दो दिनों में बाकी मामलों के लिए संबंधित आर्किटेक्ट को बुलाया गया है।

इस साफ्टवेयर को लाने का मकसद नक्शे को पारदर्शी तरीके से पास कराना था। लेकिन इसमें कमियों और पीडीए स्टाफ के ज्ञान के अभाव में नक्शे पेंडिंग हो रहे हैं। कई बार साफ्टवेयर हैंडल नही होने पर नक्शे अपने आप रिजेक्ट हो जाते हैं। जिससे ऑनलाइन सिस्टम से पब्लिक को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है।

विशाल खरे, आर्किटेक्ट

अभी मैं थोड़ा बिजी हूं और इस बारे में पता करके बाद में बता पाऊंगा।

अरविंद चौहान, वीसी पीडीए

Posted By: Inextlive